इंडिया न्यूज, न्यूयॉर्क:
अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार (Talibani government) के एलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंच (international forum) पर भारत का पहला बयान (India’s first statement) आया है। संयुक्त राष्ट्र में शांति की संस्कृति पर आयोजित बैठक में भारत ने बिना किसी का नाम लिए कहा है कि वैश्विक महामारी में भी असहिष्णुता, हिंसा और आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है। आतंकवाद धर्मों और संस्कृतियों का भी विरोधी है। धर्म का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों और उनका समर्थन करने वालों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता। वहीं भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल उसके खिलाफ नफरत भरा भाषण देने में करने के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर और सीमा पार ‘हिंसा की संस्कृति’ को बढ़ावा दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को कहा कि ‘शांति की संस्कृति सम्मेलनों में चर्चा के लिए केवल एक अमूर्त मूल्य या सिद्धांत नहीं है बल्कि सदस्य देशों के बीच वैश्विक संबंधों में इसका दिखना जरूरी है।’ उन्होंने कहा, ‘हमने भारत के खिलाफ नफरत भरे भाषण के लिए संयुक्त राष्ट्र मंच का दुरुपयोग करने के पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की एक और कोशिश को आज देखा जबकि वह अपनी सरजमीं और सीमा पार भी हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है।’ संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के दूत मुनीर अकरम ने महासभा में अपनी टिप्पणियों में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया और पाकिस्तान समर्थक नेता दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी के बारे में बात की। इसके बाद भारत ने यह कड़ी प्रतिक्रिया दी है।