इंडिया न्यूज, नई दिल्ली | Japanese Prime Minister Assassinated : जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे जिंदगी की जंग हार गए। आज सुबह हमलावार ने उनको गोलियां मारी थी। शिंजो आबे को उस समय गोली लगी थी जब वह नारा शहर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। एक गोली तो उनके सीने के आर पार चली गई थी। दूसरी गोली उनकी गर्दन पर लगी। गोली लगते ही लहूलुहान अवस्था में शिंजो जमीन पर गिर गए। जहां से उन्हें अस्पताल ले जाया गया। काफी मशक्कत के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। जानकारी के अनुसार शुक्रवार सुबह 11.30 बजे शिंजो पर हमला हुआ था।
शिंजो चुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे। जैसे ही आबे ने बोलना आरंभ किया उनपर हमलावर ने गोलियां चला दी। हमलावर को मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की पहचान 41 वर्षीय यामागामी तेत्सुया के रूप में हुई है। आरोपी ने भागने का प्रयास किया था, लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया। शुरूआती जांच में पता चला है कि यामागामी आबे की किसी बात से नाराज था, जिसके चलते उसने यह कदम उठाया।
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या करने वालो यामागामी के बारे में अभी बहुत जानकारी नहीं मिली है। उसके बारे में पता चला है कि वो नारा शहर का रहने वाला है। यामागामी जापान की मैरिटाइम स्पेशल डिफेंस फोर्स में भी का कर चुका है। उसने वहां 2005 तक तकरीबन 3 साल काम किया। मैरिटाइम स्पेशल डिफेंस फोर्स को जापान की नेवी के रूप में भी जाना जाता है।
जापान में 90 साल पहले भी ऐसा हो चुका है। उस समय नेवी के कुछ अधिकारियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री की हत्या कर दी थी। नेवी के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की हत्या तख्तापलट करने के लिए की थी। हालांकि वह ऐसा नहीं कर पाए थे। 13 दिसंबर 1931 को इनुकाई सुयोशी की हत्या नेवी के 11 युवा अफसरों ने कर दी थी। वे प्रधानमंत्री की हत्या कर सत्ता में परिवर्तन चाहते थे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
आज से 90 साल पहले 13 दिसंबर 1931 को इनुकाई सुयोशी जापान के पीएम बने थे। प्रधानमंत्री बनने के कुछ समय बाद ही उन्होंने लंदन नौसेना के साथ एक संधि की थी। जिसमें इंपीरियल जापानी नेवी का साइज सीमित करने पर सहमति बनी थी। प्रधानमंत्री के इस फैसले से इंपीरियल जापानी नेवी के कुछ युवा सैनिकों में रोष बढ़ गया था। जिसके चलते उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था।
15 मई 1932 को नेवी के 11 युवा अफसर प्रधानमंत्री आवास में घुस गए। जहां उन्होंने प्रधानमंत्री इनुकाई सुयोशी की हत्या कर दी। मरने से पहले सुयोशी के आखिरी शब्द थे, ‘मैं अगर बोल सकता, तो तुम समझ जाते’, इस पर हमलावरों ने कहा, ‘बात करना बेकार है।’
कहा जाता है कि प्रधानमंत्री की हत्या के साथ हमलावर चार्ली चैप्लिन की हत्या भी करना चाहते थे। चार्ली 14 मई 1932 को इनुकाई सुयोशी के न्योते पर जापान आए थे। हमलावरों की सोच थी कि यदि वह चैप्लिन की हत्या कर देंगे तो जापान का अमेरिका से युद्ध छिड़ जाएगा। जिससे जापान में सत्ता परिवर्तन की मांग उठने लगेगी। यह भी बताया जाता है कि जिस समय इनोकाई सुयोशी की हत्या हो रही थी, उस समय उनके बेटे इनुकाई ताकेरू चार्ली चैप्लिन के साथ बैठकर सूमो रेसलिंग मैच देख रहे थे। शायद इसी वजह से दोनों की जान बच गई.
यदि किसी देश के प्रधानमंत्री का कत्ल हो जाए तो हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा देने का प्रावधान है, लेकिन जापान में ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री इनुकाई सुयोशी की हत्या करने वाले 11 हमलावरों का कोर्ट मार्शल किया गया। जिसके बाद पूरे देश में हत्यारों के लिए लोगों में सहानुभूति जाग गई। लोगों ने अदालत से मांग करते हुए उन्हें कम से कम सजा देने को कहा। जिसके बाद प्रधानमंत्री के हत्यारों को बेहद कम सजा दी गई और जल्दी ही रिहा कर दिया गया।
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