India News (इंडिया न्यूज), Iran Chabahar Port: ईरान और भारत ने मई में चाबहार पोर्ट के बारे में एक महत्वपूर्ण समझौता किया था। यह समझौता ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के समय में हुआ था। हालांकि, डील के कुछ ही दिन बाद हेलीकॉप्टर क्रैश में उनकी जान चली गई। इस डील के अनुसार, भारत को अगले 10 साल तक चाबहार पोर्ट का संचालन करना है। इस डील के बावजूद अमेरिका समेत कई देशों ने भारत पर दबाव बनाया था, लेकिन भारत ने इसे नजरअंदाज किया। वहीं मंगलवार को आए केंद्रीय बजट में भी चाबहार पोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

चाबहार पोर्ट है महत्वपूर्ण

बता दें कि, चाबहार पोर्ट भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से भारत चीन को दरकिनार कर सकता है और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को भी नजरअंदाज कर सकता है। इसके साथ ही, अफगानिस्तान पर भी प्रभाव डाला जा सकता है। वहीं इस डील के तुरंत बाद ही अमेरिका ने बड़ी धमकी दी थी। ईरान ने चाबहार पोर्ट को 10 वर्षों तक चलाने के लिए हस्ताक्षर किए थे और इसके कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने प्रतिबंधों की धमकी दी थी। अमेरिका ने कहा था कि जो भी ईरान के साथ सौदा करेगा, उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।

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अमेरिका ने लगाए हैं कई प्रतिबंध

ईरान और भारत के बीच में डील हो गई है, लेकिन अभी भी कई समस्याएं सामने आ सकती हैं। ईरान पर अमेरिका के कई प्रतिबंध हैं, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा ब्लैकलिस्ट करना शामिल है। ईरान की ऑनलाइन भुगतान के सिस्टम तक पहुंच कम है और वह डॉलर में लेन-देन नहीं कर सकता है। यह एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, रेलवे लाइन बिछाने में भी परेशानिया हो रही है। उम्मीद है कि इन समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा और चाबहार पोर्ट का संचालन सुचारू रूप से हो सकेगा।

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