विदेश

इजरायल के सबसे बड़े दुश्मन का उत्तर प्रदेश से है खास कनेक्शन, जानिए ईरान से क्यों जुड़ा है मामला?

India News (इंडिया न्यूज), Iran Connection With Barabanki: इजरायल और ईरान के बीच टेंशन तब बढ़ गया, जब मुस्लिम देश ने मंगलवार (1 अक्टूबर) रात इजरायल पर करीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। जिसके बाद इजरायल ने भी ईरान से बदला लेने का ऐलान किया है। इसके बाद दोनों देशों के साथ-साथ मिडिल ईस्ट में युद्ध छिड़ने की संभावना बढ़ गई है। वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली होसैनी खामेनेई चर्चाओं में बने हुए हैं। दरअसल, उनका भारत से भी खास नाता है और उनके पूर्वज उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक गांव से हैं।

उत्तर प्रदेश से क्या है खास नाता?

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली होसैनी खामेनेई के पूर्वज बाराबंकी के किंटूर गांव से हैं। यह गांव जिले की सिरौली गौसपुर तहसील में आता है। अयातुल्ला अली होसैनी खामेनेई के दादा सैयद अहमद मूसावी हिंदी का जन्म इसी गांव में साल 1790 में हुआ था। जिसके बाद में वे ईरान चले गए और वहां खामेनेई गांव में बस गए। ईरान एक शिया बहुल देश है। भारत में भी एक करोड़ से ज्यादा शिया हैं। यहां के शिया धार्मिक यात्रा के लिए ईरान और इराक जाते हैं। उनके पवित्र तीर्थ स्थल यहीं हैं। नबावी काल में भारत के अवध क्षेत्र में शिया मुसलमानों की आबादी अच्छी थी। आज भी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आसपास शिया समुदाय बड़ी संख्या में रहता है।

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खामेनेई के दादा ईरान में जाकर बस गए थे

बता दें कि, साल 1830 में सैयद अहमद मूसावी 40 साल की उम्र में अवध के नवाब के साथ धार्मिक यात्रा पर इराक और फिर ईरान गए। ईरान जाने के बाद उनका वहां से वापस आने का मन नहीं हुआ और वे वहीं खामेनेई गांव में बस गए। यहां बसने के बाद उनके बेटे अयातुल्ला मुस्तफा हिंदी का जन्म हुआ। 1902 में अयातुल्ला मुस्तफा हिंदी के बेटे अयातुल्ला अली होसैनी खामेनेई का जन्म हुआ। बाराबंकी के किंटूर में रहने वाले लोगों ने बताया कि अयातुल्ला रूहुल्लाह खामेनेई के दादा सैयद अहमद मूसावी हिंदी का जन्म 1790 में यहीं हुआ था।

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भारत के खिलाफ दिया था विवादित बयान

दरअसल, हाल ही में ईरान के सुप्रीम लीडर ने भारत के खिलाफ विवादित बयान दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर भारतीय मुसलमानों पर अत्याचार का आरोप लगाया था। उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि अगर लोगों को म्यांमार, गाजा, भारत या किसी अन्य जगह पर किसी मुसलमान की पीड़ा के बारे में पता नहीं है तो उन्हें खुद को मुसलमान नहीं मानना ​​चाहिए। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने अयातुल्ला अली होसैनी खामेनेई के बयान पर करारा जवाब दिया था। साथ ही कहा था कि भारतीय मुसलमानों पर बोलने से पहले उन्हें अपनी अंतरात्मा में झांकना चाहिए।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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