India News (इंडिया न्यूज),Shashi Tharoor on Trump: भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए संघर्ष विराम को लेकर काफी विवाद चल रहा है।अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किए गए संघर्ष विराम के ऐलान पर सभी राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं। शिवसेना और कांग्रेस ने इस बारे में सरकार से संसद सत्र बुलाने की मांग की है और स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अब कांग्रेस नेता शशि थरूर ने संघर्ष विराम में ट्रंप की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा श्रेय लेने की कोशिश है। वह अपराधी और पीड़ित को एक ही दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
संघर्ष विराम को लेकर शशि थरूर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति दक्षिण एशियाई देशों के मामले पर अनावश्यक टिप्पणी कर रहे हैं। वह अपने बयानों से भारत और पाकिस्तान को गलत तरीके से एक ही तराजू पर तौलने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने ट्रंप के संघर्ष विराम वाले पोस्ट को लेकर 4 बिंदुओं के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है। थरूर ने ट्रंप के बयान को भारत के लिए निराशाजनक बताया और दक्षिण एशियाई देशों के मामलों में अमेरिकी राष्ट्रपति के हस्तक्षेप पर चिंता जताई।
Shashi tharoor
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि ट्रंप की पोस्ट भारत के लिए चार महत्वपूर्ण तरीकों से निराशाजनक है। सबसे पहले, यह पीड़ित और अपराधी के बीच गलत समानता को दर्शाता है, और ऐसा लगता है कि यह पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद के साथ संबंधों के खिलाफ अमेरिका के पिछले दृढ़ रुख को नजरअंदाज करता है। दूसरा, भारत कभी भी अपने सिर पर आतंकवादी बंदूक तानकर बातचीत नहीं करेगा।
ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की बात कही थी। इसके बाद विवाद और बढ़ गया। शशि थरूर ने कहा कि कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करना गलत है, आतंकवादी भी यही चाहते हैं। यह भारत का आंतरिक मामला है। इसमें किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। भारत ने पाकिस्तान के साथ अपनी समस्याओं पर कभी किसी विदेशी देश से मध्यस्थता का अनुरोध नहीं किया है, न ही ऐसा करने की संभावना है।
चौथा, विश्व नेताओं से कहा गया है कि वे भारत की अपनी यात्राओं को पाकिस्तान की अपनी यात्राओं से न जोड़ें और 2000 में राष्ट्रपति क्लिंटन से शुरू करके, किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया। यह एक बड़ा पिछड़ा कदम है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष नहीं रुकता तो अमेरिका व्यापार बंद कर देता, लेकिन इस दावे को भारत की तरफ से कोई समर्थन नहीं मिला। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह बयान घरेलू या वैश्विक राजनीति में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए दिया गया था।
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