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बच्चा नहीं पैदा करना…, आपस में भिड़ गए इस इस्लामिक देश के मुसलमान, पूरी बात जानकर पीट लेंगे माथा

India News (इंडिया न्यूज), Islamic Couples: दुनिया में बढ़ती जनसंख्या के बीच धार्मिक तनाव बढ़ने लगा है। वहीं अब मलेशिया में शादी के बाद बच्चे न पैदा करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिससे मलय समुदाय में बहस छिड़ गई है। मलेशिया के लोगों में इस तरह की भावना धार्मिक प्रभाव को दर्शा रही है। दरअसल, इन दिनों देश में मलय भाषी सोशल मीडिया मंचों पर इस तरह की शादी को लेकर बहस शुरू हो गई है, जिसमें शादीशुदा जोड़े जानबूझकर बच्चे न पैदा करने का विकल्प चुनते हैं। वहीं यह विषय तब बहस में बदल गया जब शादीशुदा जोड़ों ने बच्चे रहित जीवन जीने के बारे में अपनी राय साझा की।

बहस में बदली बच्चा पैदा न करने की वजह

बता दें कि, इस बहस में देश के धार्मिक अधिकारी और मंत्री भी शामिल हो गए। मलेशिया के धार्मिक मामलों के मंत्री नईम मुख्तार का दावा है कि बच्चे न पैदा करना इस्लाम के खिलाफ है। उन्होंने कुरान की आयतों का हवाला देते हुए परिवार में बच्चों के महत्व को भी समझाया। वहीं नईम मुख्तार का कहना है कि बच्चे न पैदा करना इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। ऐसा करना पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत के खिलाफ है। पैगंबर मुहम्मद ने बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहित किया और जिम्मेदारी से बचने के लिए बच्चे न पैदा करना मकरूह माना जाता है। मलेशिया के संघीय क्षेत्र मुफ्ती कार्यालय का कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से बच्चे न पैदा करना पूरी तरह से जायज है। लेकिन बिना वजह ऐसा करना इस्लाम में प्रोत्साहित नहीं किया जाता है।

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इन्होंने किया महिलाओं का समर्थन

महिला, परिवार एवं सामुदायिक विकास मंत्री नैंसी शुकरी ने महिलाओं के बच्चा न पैदा करने के विकल्प का समर्थन किया। शुकरी ने कहा कि सरकार उन विवाहित जोड़ों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है जो बच्चा चाहते हैं। लेकिन बांझपन से परेशान हैं। मलेशिया की दो तिहाई आबादी मुस्लिम है। लेकिन सरकारी अधिकारियों और धार्मिक अधिकारियों के इन जवाबों से साफ पता चलता है कि मलेशिया में यह मुद्दा कितना खास है। मलय भाषा के लोगों की इस बहस को तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है। जिसमें पहला आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारणों से बच्चा न पैदा करने के समर्थक, संदर्भवादी जो केवल कुछ शर्तों के तहत ही बच्चा न पैदा करने के फैसले पर विश्वास करते हैं और धार्मिक व्याख्या के आधार पर लोग जो बच्चा न पैदा करने का विरोध कर रहे हैं।

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सोशल मीडिया पर चल रही है बहस

दरअसल, मलय भाषा के सोशल मीडिया पर चल रही ज्यादातर चर्चाएं धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसलिए इनमें धर्म सबसे अहम भूमिका निभाता है। वहीं, स्थानीय विद्वानों और धार्मिक अधिकारियों ने जोड़ों के बच्चे न पैदा करने की प्रवृत्ति को गैर-इस्लामी बताया है। उनका मानना ​​है कि इस्लाम जोड़ों को बच्चे पैदा करने के लिए शादी करने के लिए प्रोत्साहित करता है। वहीं क्या बच्चे न पैदा करना गैर-इस्लामी है? मलेशिया में यह सवाल बहस का विषय बन गया है। साथ ही देश में धार्मिक किताबों की मांग भी बढ़ रही है। इतना ही नहीं, इंस्टाग्राम और टिकटॉक पर युवा धार्मिक प्रभावक बन रहे हैं, जो कह रहे हैं कि मलय समाज में चर्चित सामाजिक मुद्दों को धार्मिक संदर्भ में ही रखा जाना चाहिए।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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