India News, (इंडिया न्यूज), Israel-Hamas War: 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद से इजरायल और गाजा के बीच जंग जारी है। अब तक इस जंग में हजारो लोगों की जान चली गई है। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर पर मोदी सरकार के स्टैंड से विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में संघर्ष-विराम का आह्वान करने वाले प्रस्ताव से भारत द्वारा दूरी बनाए जाने को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार पर कई सवाल खे किए हैं।
यह हैरान करने वाला कदम है- ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पोस्ट करते हुए कहा, ‘यह हैरान करने वाला कदम है कि मोदी सरकार ने मानवीय संघर्ष विराम और नागरिक जीवन की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया। इजरायल ने गाजा में 7028 लोगों की हत्या कर दी है। उनमें 3000 से अधिक बच्चे और 1700 महिलाएं शामिल हैं। गाजा में कम से कम 45% घर नष्ट हो गए हैं। 14 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। शांतिकाल में भी, गाज़ावासियों को पूर्ण नाकाबंदी का सामना करना पड़ता है और उन्हें मानवीय सहायता पर निर्भर रहना पड़ता है। युद्ध शुरू होने के बाद से हालात और भी खराब हो गए हैं।’
यह एक मानवीय मुद्दा है, राजनीतिक नहीं-असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM प्रमुख ने आगे कहा कि ‘यह एक मानवीय मुद्दा है, राजनीतिक नहीं। प्रस्ताव पर रोक लगाकर, भारत वैश्विक दक्षिण, दक्षिण एशिया और ब्रिक्स में अकेला खड़ा है। नागरिक जीवन से जुड़े मुद्दे पर भारत ने परहेज क्यों किया? गाजा को सहायता भेजने के बाद परहेज क्यों? “एक विश्व, एक परिवार” का क्या हुआ? और “विश्वगुरु”?’
यह एक असंगत विदेश नीति है-असदुद्दीन ओवैसी
उन्होने आगे कहा कि ‘पीएम मोदी ने हमास के हमले की निंदा की, लेकिन युद्धविराम की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हो सके उन्होंने कुछ दिन पहले जॉर्डन के किंग से बात की थी, लेकिन जॉर्डन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव से दूरी बना ली। यह एक असंगत विदेश नीति है।’
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