India News (इंडिया न्यूज), Israel-Hamas War: गाजा पट्टी (Gaza Strip) में लगातार इजराइल (Israel) की ओर से बमबारी की जा रही है। इस बीच फिलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के लिए काम करने वाले कर्मचारियों ने गुहार लगाते हुए कहा कि ”वहां पर हालात बेहद खराब हैं। रविवार को गुहार लगाते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा बुजुर्गों के लिए खाद्यान्न, पानी और दवाओं की तत्काल आपूर्ति की जानी चाहिए।
‘यूएन रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी फॉर पेलेस्टाइन रिफ्यूजीस इन नियर ईस्ट’ (यूएनआरडब्ल्यूए) की ओर से आपात अपील की गई है। बता दें वह गाजा में फलस्तीनी शरणार्थियों के समर्थन में आपात अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा पट्टी में हिंसा में भारी वृद्धि का खामियाजा लाखों फिलिस्तीनी शरणार्थी भुगत रहे हैं।
‘गाजा को बचा लो’
गाजा में हो रही बर्बादी को देखते हुए गाजा के खान युनिस में यूएनआरडब्ल्यूए आश्रय गृह की प्रमुख राविया हलास ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि, “ कृपया गाजा को बचा लें। मैं आपसे विनती करती हूं, गाजा को बचाएं। यह मर रहा है।” यह वीडियो रविवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ साझा किया गया है।
न भोजन.. न ही पानी..
वीडियो में हलास ने कहा कि, “ऐसे बच्चे, बुजुर्ग और वयस्क हैं जिनकी मैं मदद नहीं कर सकती हूं। मैं आश्रय गृह की प्रमुख हूं और मैं उन्हें कुछ भी नहीं दे सकती हूं, न भोजन और न ही पानी।” वीडियो में हलास ने मदद मांगते हुए।एक भावनात्मक अपील की है। साथ ही आश्रय गृह में शरणार्थियों को जरूरी दवाएं और भोजन उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं होने की वजह से उनकी आवाज में हताशा और मायूसी को सुना जा सकता है। वीडियो में वह आगे कह रही हैं कि, “ अभी हम जिस स्थिति में हैं वह अप्रत्याशित है और इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।” ”15,000 फिलिस्तीन शरणार्थी आश्रय गृह में हैं और उनके पास न खाना है न पानी।”
बमबारी के बीच फंसे लाखों लोग
हलास ने आगे कहा है कि, ”रात भर लगभग हर 10 या 15 मिनट में बड़े पैमाने पर बमबारी होती है और इसी के साथ सूर्योदय होता है और बमबारी रात में और तेज हो जाती है।”
‘हियर दिअर वाइस’ (उनकी आवाज सुनिए) हैश टैग के साथ यूएनआरडब्ल्यूए गाजा में काम करने वाले अपने कर्मचारियों के मायूसी से भरे संदेश और अपीलों को पोस्ट कर रहा है।। जान लें कि यूएनआरडब्ल्यूए ने पहले जानकारी दी थी कि सात अक्टूबर से अब तक 423,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। जिनमें 270,000 से अधिक ने यूएनआरडब्ल्यूए आश्रयगृहों में शरण लेकर अपनी जिंदगी बचा रहे हैं।
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