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कौन है हमास का जिंदा शहीद जिसके लिए अमेरिका भी हो गया था इजरायल के खिलाफ…, जहर देकर भी नहीं मार पाया था मोसाद

Divyanshi Singh • LAST UPDATED : October 18, 2024, 7:35 pm IST

India News (इंडिया न्यूज),Israel–Hamas War:इजराइल ने हमास प्रमुख इस्माइल हनिया के बाद याह्या सिनवार को भी मार गिराया है। अब हमास का अगला प्रमुख कौन होगा, इसे लेकर कई नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन इन सभी में सबसे मजबूत दावेदार खालिद मशाल हैं। खालिद इससे पहले 21 साल तक हमास की कमान संभाल चुके हैं, वे संगठन के विदेश में मूवमेंट का मुख्य चेहरा हैं। याह्या सिनवार से अलग खालिद मशाल का व्यक्तित्व रणनीतिक रूप से कुशल व्यक्ति का है। मशाल ने 1996 से 2017 तक हमास के राजनीतिक प्रमुख का पद संभाला था, जिसके बाद इस्माइल हनिया इस पद पर आसीन हुए। हनिया की मौत के बाद भी माना जा रहा था कि खालिद मशाल को एक बार फिर संगठन की कमान मिल सकती है। लेकिन फिर हमास ने एक आक्रामक फैसला लेते हुए इजराइल के सबसे बड़े दुश्मन याह्या सिनवार को हमास की राजनीतिक शाखा का प्रमुख बना दिया। लेकिन सिनवार बुधवार को गाजा में एक सामान्य सैन्य अभियान के दौरान मारा गया। गुरुवार को इजराइली सेना ने डीएनए टेस्ट के बाद सिनवार की मौत की पुष्टि की। सिनवार की मौत के बाद चर्चा है कि खालिद मशाल एक बार फिर हमास प्रमुख बन सकते हैं।

इजरायल पहले भी रच चुका है हत्या की साजिश

खालिद मशाल का जन्म 28 मई 1956 को वेस्ट बैंक में रामल्लाह के पास सिलवाड नामक स्थान पर हुआ था। छोटी उम्र से ही खालिद मशाल विद्रोही आंदोलनों में शामिल होने लगे थे, 15 साल की उम्र में वे ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ में शामिल हो गए थे। वे 1987 में हमास की स्थापना के समय से ही इस संगठन के सदस्य रहे हैं। 1996 में जब खालिद मशाल को हमास का राजनीतिक प्रमुख बनाया गया, तो उसके ठीक एक साल बाद इजरायल ने मशाल की हत्या की साजिश रची।

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद इस साजिश में काफी हद तक सफल रही, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि उसे खुद ही अपने दुश्मन को बचाना पड़ा। दरअसल, 1994 से ही हमास ने आत्मघाती हमले करके इजरायल में नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। इसी के चलते प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 1997 में खालिद मशाल को मारने की योजना को मंजूरी दी।

खालिद मशाल कैसे बना जिंदा शहीद

इस योजना के तहत मोसाद के एजेंटों ने खालिद मशाल को जहर का इंजेक्शन दिया, जिससे उसकी हालत बिगड़ने लगी। जब इजराइल ने खालिद मशाल को जहर का इंजेक्शन दिया, तब वह जॉर्डन के अम्मान में मौजूद था। इस दौरान भागने की कोशिश कर रहे दो मोसाद एजेंट पकड़े गए। जैसे ही पता चला कि इस पूरे मामले में इजराइल का हाथ है, जॉर्डन के राजा हुसैन ने नेतन्याहू को बुलाया। उन्होंने इजराइल के सामने शर्त रखी कि अगर इजराइल जहर का एंटीडोट नहीं देता है, तो वह दोनों एजेंटों को फांसी पर लटका देंगे और 1994 में इजराइल और जॉर्डन के बीच हुई संधि को तोड़ देंगे। इजराइल को एंटीडोट देना पड़ा। इसके बाद मामला इतना बढ़ गया कि खालिद मशाल की कुछ ही सांसें बची थीं और अमेरिका को उसे बचाने के लिए इजराइल को मनाना पड़ा।

अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी इजराइल से एंटीडोट देने को कहा। इसके बाद खालिद मशाल की जान बचाने के लिए इजरायल को न सिर्फ अपने द्वारा दिए गए जहर का एंटीडोट देना पड़ा बल्कि हमास नेता शेख अहमद यासीन को भी रिहा करना पड़ा। दो दिन की जद्दोजहद के बाद खालिद मशाल कोमा से वापस होश में आए। वे इजरायल द्वारा दिए गए जहर से बच गए। तब से ‘खालिद मशाल’ को जिंदा शहीद के तौर पर भी जाना जाता है। खालिद मशाल ने 2004 से 2012 तक सीरिया से हमास का संचालन किया, इस दौरान सीरिया में गृहयुद्ध के चलते उन्हें अपना दमिश्क ठिकाना छोड़ना पड़ा। फिलहाल खालिद मशाल कतर और मिस्र से संगठन के विदेशी मूवमेंट को संचालित करते हैं।

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