India News (इंडिया न्यूज), Lebanon ground operation not easy for Israel, Iran Israel War: मिडिल ईस्ट में अभी जंग के हालात बने हुए है। इजरायल 2 किलोमीटर अंदर तक हिजबुल्लाह के गढ़ में घुस गया है। इजरायल का जमीनी ऑपरेशन लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ जारी है। लेकिन अब इस जमीनी जंग के साइड इफेक्ट भी दिखने लगे हैं। हिजबुल्लाह ने लेबनान में घुसे इजरायली सैनिकों की लाशें छोड़ दी हैं। इजरायल ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायल की जमीनी लड़ाई में उसके आठ सैनिक मारे गए और 35 से ज्यादा घायल हुए हैं। इस तरह से लेबनान में घुसकर हिजबुल्लाह को खत्म करना इतना आसान नहीं लगता। इजरायल को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। दुश्मन को खत्म करने के चक्कर में उसे अपने ही लोगों की जान भी गंवानी पड़ रही है। लेबनान में हर कदम पर इजरायल के लिए चुनौती है।
इजरायल को लेबनान में ऐसे समय झटका लगा है जब एक दिन पहले ही ईरान ने इजरायल पर 200 मिसाइलें दागकर हमला किया था। इजरायली सेना के मुताबिक हिजबुल्लाह के हमलों में उसके आठ से दस सैनिक मारे गए हैं। लेकिन ज्यादा डिटेल सामने नहीं आई है। हालांकि इजरायल ने कुछ हिजबुल्लाह लड़ाकों को भी मारने का दावा किया है। हिजबुल्लाह के हमले पिछले कुछ महीनों में इजरायली सेना के खिलाफ सबसे घातक हमलों में से एक थे। विशेषज्ञों के मुताबिक इजरायली सेना के लिए लेबनान में घुसना तो आसान है, लेकिन काम खत्म कर वहां से सुरक्षित निकल पाना बेहद मुश्किल है। इसकी वजह हिजबुल्लाह का गढ़ और उसकी सैन्य ताकत है। भले ही हिजबुल्लाह लेबनान में हवाई हमलों में इजरायल का मुकाबला नहीं कर सकता, लेकिन जमीन पर लड़ने में वह पूरी तरह सक्षम है।
हिजबुल्लाह का दावा है कि उसके लड़ाकों ने ओदैसा और यारून इलाकों से इजरायली सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। इतना ही नहीं हिजबुल्लाह ने इजरायली सैनिकों को काफी नुकसान पहुंचाया है। इजरायली सैनिकों को मारने और उन्हें कुछ इलाकों से खदेड़ने के बाद हिजबुल्लाह आत्मविश्वास से लबरेज है। इजरायल ने 2006 के युद्ध में देखा है कि लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ जमीनी युद्ध कितना मुश्किल था। उस युद्ध में 125 से ज्यादा इजरायली सैनिक मारे गए थे और हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने 20 से ज्यादा इजरायली टैंक नष्ट कर दिए थे। चूंकि लेबनान हिजबुल्लाह का गढ़ है, इसलिए उसे सब पता है। यहां इजरायली सैनिक हार जाते हैं और हिजबुल्लाह के जाल में फंस जाते हैं।
फिलहाल हिजबुल्लाह सिर्फ बचाव नहीं बल्कि पलटवार की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। वह हसन नसरल्लाह की मौत का बदला लेने के लिए दृढ़ संकल्प है। यही वजह है कि वह लेबनान में इजरायली सैनिकों से भिड़ने से नहीं डरता। दावा यह भी किया जा रहा है कि लेबनान में घुसे हुए उन्हें 60 घंटे से ज़्यादा हो गए हैं, लेकिन इज़रायली सैनिक 2 किलोमीटर से ज़्यादा अंदर तक नहीं घुस पाए हैं। हिज़्बुल्लाह उन्हें हर कदम पर चुनौती दे रहा है और उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रहा है। हिज़्बुल्लाह के हमले में न सिर्फ़ 8-10 इज़रायली सैनिक मारे गए हैं, बल्कि 35 से ज़्यादा घायल भी हुए हैं। हिज़्बुल्लाह ने ज़्यादा नुकसान भी पहुँचाया है।
एक तरह से देखा जाए तो इजराइल अपने चारों तरफ से तीन दुश्मनों से घिरा हुआ है। एक तरफ ईरान है, जो 200 मिसाइलें दागकर इजराइल को चुनौती दे रहा है। वहीं दूसरी ओर हिजबुल्लाह है, जो हमेशा इजराइल को मुश्किल में डालता रहा है। तीसरे मोर्चे पर हमास है, जिसके साथ गाजा में पिछले एक साल से जंग चल रही है। गाजा में हमास के साथ इजराइल की जंग खत्म होती नहीं दिख रही है। भले ही ताकत के मामले में इजराइल इन सभी पर भारी पड़ता दिख रहा हो, लेकिन जिस तरह से हमास पिछले एक साल से मजबूती से खड़ा है, वह भी नेतन्याहू के लिए कम टेंशन वाली बात नहीं है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ईरान हिजबुल्लाह का पूरा समर्थन करता है। हिजबुल्लाह को पैसे से लेकर हथियारों तक के मामले में ईरान से मदद मिलती है। हमास के साथ भी कमोबेश यही स्थिति है। कुल मिलाकर ये तीनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
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