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Israel-Iran War: इजरायल से भिड़ंत बदल देगा ईरान का भूगोल? जानें क्या है तेल अवीव की हवाई ताकत

India News(इंडिया न्यूज),Israel-Iran War: ईरान के हमले के बाद इजरायल ने आज अपना दम दिखाते हुए ईरान पर हमला किया जिसके बाद ईरान की भी धमकी आने लगी है। वहीं इजरायल का ईरान के प्रति गुस्सा देखकर साफ प्रतित हो रहा है कि, ईरान की स्थिति कही गाजा जैसी ना हो जाए। लेकिन ऐसा कहना भी गलत होगा क्योंकि ईरान की तैयारी भी इजरायल पर भारी पड़ सकती है तो आईए आपको बतातें है कि, आखिर किसमें कितना दम है।

  • ईरान के पास कुल 37000 वायु सेना कर्मचारी
  • इजरायल वायू सेना में ईरान से कही आगे
  • लंबी दूरी से हमला करने में माहिर है इजरायल

ईरान की ताकत

ईरान की बात करें तो, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटजिक स्टडीज इन लंदन (आईआईएसएस) के अनुसार, ईरानी वायु सेना में 37,000 कर्मचारी हैं, लेकिन दशकों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों ने देश को नवीनतम उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरणों से काफी हद तक दूर कर दिया है। वहीं वायु सेना के पास केवल कुछ दर्जन कार्यशील स्ट्राइक विमान हैं, जिनमें 1979 की ईरानी क्रांति से पहले हासिल किए गए रूसी जेट और पुराने अमेरिकी मॉडल शामिल हैं। बता दें कि, ईरान के पास घरेलू स्तर पर निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्लेटफॉर्म बावर-373, साथ ही सैय्यद और राद रक्षा प्रणालियाँ भी हैं।

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हवा में ईरान की मजबूती

वहीं अब ईरान की हवाई मजबूती की बात करें तो, आईआईएसएस ने कहा कि, तेहरान के पास नौ एफ-4 और एफ-5 लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन, रूसी निर्मित सुखोई-24 जेट का एक स्क्वाड्रन और कुछ मिग-29, एफ7 और एफ14 विमान हैं। ईरानियों के पास लक्ष्य पर उड़ान भरने और विस्फोट करने के लिए डिज़ाइन किए गए पायलट रहित विमान भी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस ड्रोन शस्त्रागार की संख्या हजारों में है। इसके अलावा, वे कहते हैं, ईरान के पास सतह से सतह पर मार करने वाली 3,500 से अधिक मिसाइलें हैं, जिनमें से कुछ आधे टन के हथियार ले जाती हैं। हालाँकि, इज़राइल तक पहुँचने में सक्षम संख्या कम हो सकती है।

ईरान के वायू सेना कमांडर का बयान

इस मामले में ईरान के वायु सेना कमांडर अमीर वहीदी ने बुधवार को कहा कि सुखोई-24, किसी भी संभावित इजरायली हमले का मुकाबला करने के लिए अपनी “सर्वोत्तम तैयारी की स्थिति” में थे। लेकिन 1960 के दशक में पहली बार विकसित सुखोई-24 जेट विमानों पर ईरान की निर्भरता, उसकी वायु सेना की सापेक्ष कमजोरी को दर्शाती है। रक्षा के लिए, ईरान रूसी और घरेलू स्तर पर निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और वायु रक्षा प्रणालियों के मिश्रण पर निर्भर है। जानकारी के लिए बता दें कि, तेहरान को 2016 में रूस से S-300 एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम की डिलीवरी मिली, जो लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली हैं, जो विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित कई लक्ष्यों को एक साथ भेदने में सक्षम हैं।

इजरायल की ताकत से कांपेगा ईरान

वहीं बात अगर इज़रायल की करें तो, इजरायल के पास सैकड़ों F-15, F-16 और F-35 बहुउद्देशीय जेट लड़ाकू विमानों के साथ एक उन्नत, अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई वायु सेना है। इन्होंने सप्ताहांत में ईरानी ड्रोन को मार गिराने में भूमिका निभाई। वायु सेना के पास लंबी दूरी के बमवर्षकों की कमी है, हालांकि पुनर्निर्मित बोइंग 707 का एक छोटा बेड़ा ईंधन भरने वाले टैंकरों के रूप में काम करता है जो इसके लड़ाकू विमानों को पिनपॉइंट उड़ानों के लिए ईरान तक पहुंचने में सक्षम बना सकता है।

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इसके साथ ही ड्रोन प्रौद्योगिकी में अग्रणी, इज़राइल के पास हेरॉन पायलट रहित विमान हैं जो 30 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने में सक्षम हैं, जो दूर-दराज के संचालन के लिए पर्याप्त है। इसके डेलिलाह गोला-बारूद की अनुमानित सीमा 250 किमी (155 मील) है – जो खाड़ी से बहुत कम है, हालांकि वायु सेना ईरान की सीमा के करीब एक गोला-बारूद पहुंचाकर अंतर को कम कर सकती है।

लंबी दूरी से वार करने में माहिर है इजरायल

माना जाता है कि इज़राइल ने लंबी दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें विकसित कर ली हैं, लेकिन न तो इसकी पुष्टि करता है और न ही इससे इनकार करता है। 2018 में, तत्कालीन रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमैन ने घोषणा की कि इजरायली सेना को एक नई “मिसाइल फोर्स” मिलेगी। सेना ने यह नहीं बताया है कि वे योजनाएँ अब कहाँ हैं। जानकारी के लिए बता दें कि, 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद अमेरिकी मदद से विकसित एक बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली इजरायल को लंबी दूरी के ईरानी ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने के लिए कई अतिरिक्त विकल्प प्रदान करती है।

इजरायल की हवा में ताकत

मिली जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक ऊंचाई वाली प्रणाली एरो-3 है, जो अंतरिक्ष में बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकती है। एक पुराना मॉडल, एरो-2, कम ऊंचाई पर काम करता है। मध्य दूरी की डेविड स्लिंग बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करती है, जबकि कम दूरी की आयरन डोम गाजा और लेबनान में ईरानी समर्थित मिलिशिया द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट और मोर्टार से निपटती है – लेकिन सैद्धांतिक रूप से इसे किसी और पर भी दागा जा सकता है। शक्तिशाली मिसाइलें एरो या डेविड स्लिंग से चूक गईं। वहीं इजरायली प्रणालियों को गठबंधन-शक्ति सुरक्षा के लिए क्षेत्र में समकक्ष अमेरिकी इंटरसेप्टर में पैच करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

Shubham Pathak

शुभम पाठक लगभग दो वर्ष से पत्रिकारिता जगत में है। वर्तमान में इंडिया न्यूज नेशनल डेस्क पर कार्यरत है। वहीं इससे पूर्व में STV Haryana, TV100, NEWS India Express और Globegust में काम कर चुके हैं। संपर्क का स्रोत:- sirshubham84@gmail.com

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