India News (इंडिया न्यूज),Israel-Palestine War: इस्राइल के लिए पिछले 24 घंचे का समय बेहद कठीन रहा है। सैकड़ो लोग घर से बेघर हो गए है। वहीं आई रिपोर्ट के अनुसार अभी तक लगाभग 200 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है। जानकारी के लिए बता दें कि, आतंकी संगठन हमास के अंधाधुंध रॉकेट हमलों के बाद इस्राइल में तबाही का मंजर आपका दिलदहला सकती है। जिस जमीन पर आज गोला-बारूद और धुएं का गुबार और मातमी सन्नाटा पसरा है, ये यहूदियों के अलावा, इसाईयों और मुस्लिमों की आस्था का बड़ा केंद्र है। छह महीने पहले अल अक्सा मस्जिद में इस्राइल की पुलिस का घुसना इस भयानक आतंकी वारदात की जड़ माना जा रहा है।
जानकारी के लिए बता दें कि, शनिवार को गाजा पट्टी से इस्राइल में 5,000 से अधिक रॉकेट दागे गए। वहीं केवल 20 मिनट में हुए इस अंधाधुंध हमले के बाद आतंकी संगठन हमास के सशस्त्र विंग ने ‘ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड’ की शुरुआत बताया। जिसके बाद इस्राइल सेना की तरफ से जवाबी हवाई हमलों में हमास के 400 से अधिक आतंकियों को मारने का दावा किया गया है। सबसे ज्यादा चौकाने वाला दावा ये है कि, इस हमले में लगभग 1900 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। ज फिलिस्तीन ने भी 200 से अधिक लोगों की मौत की बात कही है। हिंसा और रक्तपात के बीच जानना काफी अहम है कि टकराव का प्रमुख कारण क्या है।
(Israel-Palestine War)
चलिए आपको पहले इस पूरे कारनामे में अल-अक्सा के बारे में बताते है। अल-अक्सा पुराने येरूशलम के बीच में एक पहाड़ी पर स्थित है। जो कि यहूदी धर्मावलंबी आस्था के इस बड़े केंद्र को टेम्पल माउंट के रूप में जानते हैं। वहीं मुस्लिम अल-हरम अल-शरीफ या नोबल सैंक्चुअरी के रूप में जानते हैं। जिसके बाद आतंकी संगठन हमास ने हमलों के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, गाजा पट्टी से फ्लड यानी बाढ़ की शुरुआत हुई है, लेकिन जल्द ही हमास के लोग इस्राइल के पश्चिम तट के साथ-साथ हर उस जगह जाएंगे जहां लड़ाई लड़ी जानी है। अंधाधुंध हमलों के कारण इस ऑपरेशन को हमास ने मस्जिद के नाम से जोड़ते हुए फ्लड यानी बाढ़ जैसा दिखाने की कोशिश की है। जानकारी के लिए बता दें कि, मुस्लिम धर्मावलंबियों के बीच अल अक्सा मक्का और मदीना के बाद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। अल-अक्सा पूरे परिसर को दिया गया नाम है।
इस्लाम पर ईमान रखने वाले लोगों के बीच अल- अक्सा दो पवित्र स्थानों के कारण आस्था का केंद्र है। एक का नाम डोम ऑफ द रॉक है और परिसर के दूसरे केंद्र को अल-अक्सा मस्जिद या किबली मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों और धार्मिक मामलों के जानकारों का मानना है कि इस मस्जिद और परिसर को 8वीं शताब्दी AD में बनाया गया था। बता दें कि, अल-अक्सा परिसर लंबे समय से येरूशलम में संप्रभुता और धर्म के मामलों के कारण हिंसा का साक्षी बनता रहा है। लंबे समय तक “यथास्थिति” बरकरार रखने की व्यवस्था के तहत क्षेत्र पर शासन किया गया। इस्राइल का कहना है कि वह भौगोलिक सीमाओं या अल-अक्सा परिसर से जुड़े नियमों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करता। नियमों के अनुसार, अल-अक्सा परिसर में गैर-मुस्लिमों के जाने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन मस्जिद परिसर में नमाज अदा करने या किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति केवल मुसलमानों को दी गई है।
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जानकारी के लिए बता दें कि, आज से 27 साल पहले हुई सुरंग के कारण युद्ध भी इस मामले में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहां अल-अक्सा आने वाले यहूदी धर्मावलंबी नियमों की खुलेआम विरोध करते रहे। इस्राइल पर परिसर में कमोबेश खुले तौर पर प्रार्थना करने वाले यहूदी और इस्लाम मानने वाले लोगों के बीच भेदभाव के गंभीर आरोप लगे हैं। मुस्लिमों पर लगाए गए कथित प्रतिबंध और अल-अक्सा परिसर में उनकी पहुंच पर इस्राइली प्रतिबंधों के कारण विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़कने की बात सामने आई है। 1996 में, अल-अक्सा मस्जिद परिसर के पास एक नई सुरंग का उद्घाटन किए जाने की बात भी सामने आई। फिलिस्तीनी जनता ने इस पहल को धार्मिक रूप से पवित्र जगह को अपवित्र करने के रूप में देखा। हिंसक झड़प में तीन दिनों में 80 से अधिक लोग मारे गए थे।
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वहीं जानकारी के लिए आपको ये भी बता दें कि,टेम्पल माउंट विवाद पर बातें आज भी हो रही है जहां मंदीर परिसर पश्चिमी दीवार की तरफ है। जो कि, यहूदियों के बीच प्रार्थना के एक पवित्र स्थान के रूप में जाना जाता है। इन लोगों के लिए टेम्पल माउंट उनका सबसे पवित्र स्थल है। जिसके बाद यहूदियों का मानना है कि, बाइबिल में जिस राजा सोलोमन का जिक्र है उन्होंने तीन हजार साल पहले मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन बाद में रोमन साम्राज्य में मंदिर तोड़ दिया गया। बात अगर यहूदी की आस्था की करें तो, तीन हजार साल पहले पहला मंदिर बना। बाद के वर्षों में दूसरे मंदिर का निर्माण कराए जाने का उल्लेख भी मिलता है, लेकिन इसकी टाइमलाइन के बारे में इतिहासकारों के बीच ठोस राय नहीं है। यहूदियों का मानना है कि दूसरा मंदिर 70 ई. में रोमन साम्राज्य में तोड़ दिया गया।
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वहीं जानकार बतातें है कि, अल-अक्सा परिसर में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। जिसके बाद अल-अक्सा परिसर में ही ईसा-मसीह के दोबारा जन्म की भी आस्था है। इसी स्थान पर चर्च बनाया गया है, जहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। हालांकि, हिंसक घटनाओं के कारण आस्था के ये केंद्र नकारात्मक घटनाओं के कारण सुर्खियों में रहते हैं। मध्य पूर्व में हुए युद्ध के बाद इस्राइल ने 1967 में इस जगह पर कब्जा कर लिया। इस्राइल ने बल प्रयोग कर अल अक्सा को पूर्वी येरुशलम के बाकी हिस्सों और वेस्ट बैंक के आसपास के हिस्सों के साथ मिला दिया। हालांकि, इस भौगोलिक हकीकत के बारे में एक और बात जानना बेहद अहम है कि फिलिस्तीन और वेस्ट बैंक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है।
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