विदेश

क्या है इजरायली खुफिया एजेंसी का पूरा नाम, जानिए कैसे चुने जाते हैं एजेंट्स और कामयाबी का राज?

India News (इंडिया न्यूज), Israel Secret Agency: इजरायल अपने दुश्मन देशों से पिछले एक साल से लगातार लड़ रहा है। हमास के हमले के बाद इजराइल ने हिजबुल्लाह लड़ाकों के साथ लड़ाई लड़ी। इसी बीच कुछ दिन पहले ईरान में हुए एक विस्फोट में हमास प्रमुख इस्माइल हनियेह की मौत हो गई। जिसके लिए ईरान ने सीधे तौर पर इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था। इस बीच एक बार फिर देश-विदेश में इजरायल की खुफिया एजेंसी की चर्चा होने लगी। दरअसल, मोसाद, एक ऐसा नाम जिससे बड़े से बड़े आतंकी भी थरार्ते हैं। मोसाद ने कई महत्वपूर्ण मिशन चलाए हैं, जैसे इथियोपियाई यहूदियों को इजरायल लाने के लिए ऑपरेशन मूसा शामिल है। इसके अलावा, यह विदेशों में यहूदी और इजरायली नागरिकों को निशाना बनाकर की जाने वाली आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ भी सक्रिय रूप से काम करता है।

कब हुई मोसाद की स्थापना?

बता दें कि, खुफिया एजेंसी मोसाद की स्थापना 13 दिसंबर 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियन की पहल पर की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना और इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है। वहीं शुरुआत में इसकी स्थापना सेना के खुफिया विभाग, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश विभाग के सहयोग से की गई थी। 1951 में इसे प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कर दिया गया, जिसके कारण यह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।

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कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोसाद की ओर से भर्ती की जाती है। जिसके लिए इच्छुक उम्मीदवार आवेदन करते हैं। वहीं छांटने के बाद उम्मीदवारों को कई टेस्ट और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है। जिसके बाद सफल होने वाले उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जांच की जाती है। मोसाद में शामिल होने से पहले उम्मीदवारों को बहुत कठोर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। इसमें उन्हें विभिन्न तकनीकों, फील्ड ऑपरेशन, खुफिया जानकारी जुटाने और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है।

क्या है काम करने का तरीका?

मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशन है। एजेंसी का काम बेहद गुप्त और रणनीतिक है। इसकी टीम अपने कामकाज में बेहद कुशल है। एजेंट अपने लक्ष्य की पहचान करने से पहले उसकी पूरी जांच करते हैं। इसके बाद वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पहले से योजना बनाते हैं। वहीं मोसाद की दो प्रमुख आतंकवाद विरोधी इकाइयां हैं। जिनमें मेत्साडा और किडन शामिल हैं। मेत्साडा सीधे हमले करता है, जबकि किडन का काम गुप्त रखा जाता है। इनमें से प्रत्येक इकाई में विशेषज्ञता और विशेष प्रशिक्षण वाले एजेंट होते हैं। मोसाद के ऑपरेशन इतने गुप्त होते हैं कि अक्सर कोई सबूत नहीं मिल पाता।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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