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इजरायल में मारे जा रहे सैनिकों का क्यों जमा किया जा रहा स्पर्म ? वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

India News (इंडिया न्यूज), Israeli Soldier Sperm: गाजा संघर्ष के कारण पिछले साल अक्टूबर से इजराइल में मारे जाने वाले नागरिकों और सैनिकों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही उनके शवों से शुक्राणु निकालने का चलन भी बढ़ा है। फिलहाल इजराइल में मृत्यु के बाद शुक्राणु निकालने को लेकर कोई कानूनी नियम नहीं है। हालांकि, अब ऐसा करने वालों की संख्या बढ़ने पर देश में बहस शुरू हो गई है और सांसदों ने कानून बनाने पर विचार करना शुरू कर दिया है।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के महीने इजराइल के लिए काफी दर्दनाक रहे हैं। 7 अक्टूबर 2023 से अब तक युद्ध में करीब 1600 इजराइली मारे जा चुके हैं। 1600 में से 170 सैनिकों और आम लोगों के शुक्राणु सुरक्षित रखे गए हैं। यह आंकड़ा करीब 15 फीसदी है। पिछले साल यह संख्या काफी कम या यूं कहें कि एक फीसदी थी।

शव से कैसे निकाले जा रहे स्पर्म?

डॉक्टरों का कहना है कि किसी की मौत के 72 घंटे के अंदर यह सर्जरी करनी होती है। इस प्रक्रिया में अंडकोष में चीरा लगाना होता है और टिश्यू की मदद से उसे लैब में भेजा जाता है। वहां इसे तब तक जमा कर रखा जाता है जब तक परिवार को शुक्राणु के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिल जाती। इजराइल में सैनिक ज्यादातर युवा होते हैं, इसलिए शुक्राणु के ठीक होने की संभावना अधिक होती है।

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शुक्राणु रखने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी

बता दें कि, पहले यह प्रक्रिया तभी की जाती थी जब परिवार इसके लिए अनुरोध करता था। कोर्ट से मंजूरी भी मिल जाती थी, लेकिन अब यह कानूनी बाध्यता नहीं है। यही वजह है कि शुक्राणु रखने वालों की संख्या बढ़ गई है। इससे संबंधित विधेयक पारित करने के प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि परिवारों को यह साबित करना होगा कि मृतक व्यक्ति बच्चे पैदा करना चाहता था, तभी शुक्राणु निकालने की अनुमति दी जाएगी। यहूदी धार्मिक नेता सैनिकों से पहले से लिखित सहमति लेने का प्रावधान चाहते हैं।

कुछ लोग शव से स्पर्म निकालने के खिलाफ

वहीं, कुछ लोग शव से शुक्राणु निकालने के पूरी तरह खिलाफ हैं। कुछ लोगों का कहना है कि शव को पूरा ही दफना देना चाहिए। दूसरे लोग इसे संवेदनशील मुद्दा बता रहे हैं। इस देश में कानूनी लड़ाई चल रही है। परिवार को अदालत में यह साबित करने में समय लग रहा है कि मृतक बच्चे चाहता था। ओसर का जन्म इजरायली सैनिक कीवान की मृत्यु के 11 साल बाद हुआ था, कीवान की मृत्यु के समय उसकी आयु 20 वर्ष थी। कीवान के माता-पिता अपने मृत बच्चे के शुक्राणु को सुरक्षित रखने वाले पहले इजरायली थे।

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Himanshu Pandey

इंडिया न्यूज में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर काम कर रहा हूं। ऑफबीट सेक्शन के तहत काम करते हुए देश-दुनिया में हो रही ट्रेंडिंग खबरों से लोगों को रुबरु करवाना ही मेरा मकसद है। जिससे आप खुद को सोशल मीडिया की दुनिया से कटा हुआ ना महसूस करें ।

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