विदेश

Justin Trudeau:भारत के आतंकियों का समर्थन करने वाले इस देश के प्रमुख की बर्बादी शुरु! भारत के खिलाफ कर रहा था ये काम…अब अपने ही देश में हुआ ये हाल

India News (इंडिया न्यूज),Justin Trudeau:खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड की आड़ में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो लगातार भारत पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। अपनी घरेलू राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश में ट्रूडो ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कनाडा की छवि को नुकसान पहुंचाया है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में ट्रूडो सरकार बाल-बाल बच गई थी। अब एक बार फिर जस्टिन ट्रूडो को हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद) में विश्वास मत हासिल करना है। इस बार ट्रूडो के लिए बहुमत हासिल करना आसान काम नहीं होने वाला है। जगमीत सिंह ने अपना समर्थन वापस लेकर जस्टिन ट्रूडो की मौजूदा सरकार की हालत पतली कर दी है। घरेलू राजनीतिक पिच पर संभावित हार से घबराए जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई सिख समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए निज्जर हत्याकांड में भारत को घसीटना शुरू कर दिया है।

पद छोड़ने की मांग

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिन ट्रूडो से पद छोड़ने की मांग वाले दस्तावेज पर कम से कम 10 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। लिबरल पार्टी के सांसद सीन केजी ने स्थानीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्हें लगातार और मजबूती से संदेश मिल रहे हैं कि जस्टिन ट्रूडो के सत्ता छोड़ने का समय आ गया है। ट्रूडो भी लिबरल पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। पीएम जस्टिन ट्रूडो पर प्रधानमंत्री पद छोड़ने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ महीनों से उनके खिलाफ विरोध के स्वर ज्यादा मुखर और मजबूत तरीके से उभरने लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रूडो विदेशी संबंधों की बलि चढ़ाने पर तुले हुए हैं। वह निज्जर हत्याकांड में भारत को घसीटकर सिख सांसदों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

जगमीत सिंह ने समर्थन वापस लिया

जस्टिन ट्रूडो सरकार के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी गई है। दरअसल, जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से ट्रूडो सरकार सत्ता में बनी हुई है। अब जगमीत सिंह ने ट्रूडो सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 338 सदस्य हैं। जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन वापस लेने के बाद लिबरल पार्टी के पास सिर्फ 154 सदस्य बचे हैं। यह संख्या बहुमत से काफी कम है। ऐसे में पीएम जस्टिन ट्रूडो फिलहाल अल्पमत की सरकार चला रहे हैं। ‘एक करेला और दूसरा नीम चढ़ा’ वाली कहावत पीएम ट्रूडो पर सटीक बैठती है। घरेलू मोर्चे पर पूरी तरह से विफल हो चुके पीएम ट्रूडो अब भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कनाडा की स्थिति कमजोर होती जा रही है।

बढ़ने वाली हैं ट्रूडो सरकार की मुश्किलें

दरअसल, आने वाले कुछ हफ्तों में ट्रूडो सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। नवंबर के अंत या दिसंबर में पीएम ट्रूडो को बजट अपडेट प्रस्ताव पर विश्वास मत का सामना करना पड़ सकता है। जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन वापस लेने के बाद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी की हालत काफी खराब है। पीएम ट्रूडो के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पार्टी के अंदरूनी विरोध और विपक्षी दलों के आक्रामक तेवरों से सरकार को कैसे बचाया जाए। अगर मौजूदा राजनीतिक समीकरण ऐसे ही रहे तो नवंबर या दिसंबर में जस्टिन ट्रूडो का सत्ता से हाथ धोना तय है। आपको बता दें कि 2 अक्टूबर को जस्टिन ट्रूडो को हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत साबित करना था, तब जाकर किसी तरह उनकी सरकार बच पाई थी।

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Divyanshi Singh

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