India News (इंडिया न्यूज),Kumara Disanayake:मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली है। यह पहली बार है कि श्रीलंका में कोई वामपंथी नेता राष्ट्रपति पद पर आसीन होगा। अनुरा ने इस चुनाव में तीन मशहूर उम्मीदवारों- नमल राजपक्षे, साजिद प्रेमदासा और रानिल विक्रमसिंघे को हराया है। जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) पार्टी के नेता दिसानायके इस चुनाव में नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार थे। साधारण परिवार से आने वाले अनुरा के इस पद तक पहुंचने की कहानी काफी दिलचस्प है। दिसानायके का जन्म श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 100 किलोमीटर दूर थंबुट्टेगामा में एक दिहाड़ी मजदूर के घर हुआ था। दिसानायके अपने परिवार के गांव से विश्वविद्यालय जाने वाले पहले छात्र थे।
एक बातचीत में उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्होंने पेराडेनिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही 1987 से 1989 के बीच सरकार विरोधी आंदोलन के दौरान वे जेवीपी में शामिल हो गए और जल्द ही अपनी पहचान बना ली। वामपंथी दिसानायके कॉलेज में ही जेवीपी में शामिल हो गए थे। 80 के दशक में जेवीपी ने सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया और बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। इसे श्रीलंका का खूनी दौर भी कहा जाता है।सरकार ने इस विद्रोह को कुचल दिया और इसमें जेवीपी के संस्थापक रोहाना विजेवीरा की भी मौत हो गई। हालांकि बाद में दिसानायके और जेवीपी ने हिंसा के रास्ते से खुद को अलग कर लिया।
दिसानायके 2000 में सांसद बने और इसके बाद 2004 में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) से गठबंधन के बाद उन्हें कृषि और सिंचाई मंत्री बनाया गया। हालांकि गठबंधन में मतभेद के बाद दिसानायके ने 2005 में ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सोमवंश अमरसिंघे के बाद 2014 में दिसानायके जेवीपी के अध्यक्ष बने। नेतृत्व संभालने के बाद दिसानायके ने पार्टी की छवि बदली और इसे 1971 और 1987 के विद्रोहों से जुड़े अपने हिंसक अतीत से दूर कर दिया। उन्होंने उस दौरान पार्टी की भूमिका पर सार्वजनिक रूप से खेद भी जताया।
दिसानायके ने पहली बार 2019 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में प्रवेश किया, लेकिन बुरी तरह हार गए और उन्हें केवल 3 प्रतिशत वोट मिल सके। 2022 में श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद, जेवीपी ने एक मजबूत अभियान चलाया और खुद को भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में पेश करने में कामयाब रहा। दो साल के भीतर, दिसानायके श्रीलंका के सबसे बड़े नेता बन गए। मार्क्सवादी नेता अनुरा दिसानायके के सामने पद संभालने के बाद कई बड़ी चुनौतियाँ हैं। उनके सामने देश की आर्थिक स्थिति को ठीक करने की चुनौती है। उन्हें खासकर छात्रों और मजदूर वर्ग से किए गए वादों को पूरा करना होगा, जिन्हें उनका मजबूत समर्थन मिला है। साथ ही, उनके सामने हिंसक पार्टी को बीच में न आने देने की चुनौती भी है।
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