ऑनलाइन यौन उत्पीड़न का बढ़ता प्रभाव
वैश्विक स्तर पर इंटरनेट और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ, ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के मामलों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। यह उत्पीड़न विभिन्न रूपों में हो सकता है, जिनमें पोर्नोग्राफी, सेक्सटिंग, ऑनलाइन ग्रूमिंग, और तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ शामिल हैं। एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी और चीन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2010 से 2023 तक किए गए 123 अध्ययनों का विश्लेषण किया, जिसमें पाया गया कि दुनियाभर में आठ में से एक बच्चा ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार था, और उतनी ही संख्या में बच्चों को इस गतिविधि में शामिल होने के लिए आग्रह किया गया था।
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शोध के प्रमुख निष्कर्ष
द लैंसेट में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, साल 2023 तक लगभग 4.7% वैश्विक प्रसार में ऑनलाइन यौन शोषण, 3.5% में यौन जबरन वसूली, और तस्वीरों के साथ दुर्व्यवहार के मामले सामने आए। यह आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन यौन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या बन चुकी है, और इसके खिलाफ त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।
अध्ययन के दौरान लिंग आधारित भेदभाव का कोई स्पष्ट अंतर नहीं पाया गया, लेकिन शोधकर्ताओं ने पिछले रिपोर्टों का हवाला देते हुए यह कहा कि लड़कियां लड़कों की तुलना में ज्यादा असुरक्षित हैं। यह बच्चों और किशोरों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि इंटरनेट पर सुरक्षा और निगरानी की अत्यधिक आवश्यकता है।
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मां-बाप के लिए महत्वपूर्ण हिदायतें
इस अध्ययन ने न केवल समाज को, बल्कि विशेष रूप से मां-बाप को भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। बच्चों को बिना किसी निगरानी के मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग करने की अनुमति देना बहुत खतरनाक हो सकता है। इस अध्ययन ने माता-पिता से यह अपील की है कि वे बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर नजर रखें और उन्हें सुरक्षित तरीके से इंटरनेट का उपयोग करने की शिक्षा दें।
मजबूत कानून की आवश्यकता
द लैंसेट की इस स्टडी ने ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए मजबूत कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया है। बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए और इस तरह के अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रभावी और सख्त कानूनों की आवश्यकता है। इसके अलावा, इंटरनेट कंपनियों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भी जिम्मेदारी उठानी होगी ताकि बच्चों को ऐसी गतिविधियों से बचाया जा सके।
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ऑनलाइन यौन उत्पीड़न एक गंभीर और बढ़ती हुई समस्या बन चुकी है, जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। यह अध्ययन एक कठोर चेतावनी है कि हमें इस खतरे से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के उपायों के प्रति जागरूक करना और समाज को इस समस्या के प्रति संवेदनशील बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह समय है कि सरकारें और संबंधित संस्थाएं इस गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।