India News (इंडिया न्यूज),Saudi Arabia:सऊदी अरब सीरिया में असद को गिराने वाले अहमद अल-शरा पर मेहरबान है। अल-शरा ने शिया शासक असद को उखाड़कर सीरिया के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी ली है, लेकिन करीब 14 साल से गृहयुद्ध की आग में जल रहे इस देश में यह आसान नहीं है। सीरिया पर विश्व बैंक का भारी कर्ज है, जिसे चुकाने के लिए सऊदी अरब आगे आया है। रॉयटर्स के मुताबिक, मामले से वाकिफ तीन लोगों ने बताया कि सऊदी अरब विश्व बैंक को सीरिया का कर्ज चुकाने की योजना बना रहा है, जिससे पुनर्निर्माण के लिए लाखों डॉलर के अनुदान को मंजूरी मिलने और देश के खराब बुनियादी ढांचे को फिर से खड़ा करने का रास्ता साफ होगा।
असद शासन के दौरान सऊदी अरब ने सीरिया की इस तरह से कभी मदद नहीं की। सीरिया को वित्तपोषण मुहैया कराने का यह पहला ज्ञात उदाहरण है, रिपोर्ट्स के मुताबिक, सऊदी अरब ने असद शासन के दौरान पर्दे के पीछे से एचटीएस जैसे संगठनों का समर्थन किया है। सीरिया के साथ खड़े हैं सुन्नी देश सऊदी का यह कदम सीरिया में सऊदी प्रभाव बढ़ाने और सुन्नी सरकार का समर्थन करने के लिए उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब ईरान के पड़ोस में एक मजबूत सुन्नी सरकार देखना चाहता है। इसके अलावा सीरिया रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खाड़ी देश है और दुनिया भर की ताकतें इसमें अपने हितों को साधने में लगी हुई हैं।
Saudi Arabia
इससे पहले कतर ने सीरियाई सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने की पहल की थी, जो अमेरिकी प्रतिबंधों की अनिश्चितता के कारण अटका हुआ है। पिछले महीने कतर ने देश में बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए जॉर्डन के माध्यम से सीरिया को गैस उपलब्ध कराने की योजना की घोषणा की थी, सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि इस कदम को वाशिंगटन ने मंजूरी दे दी है।
हालांकि, सीरिया का कर्ज चुकाने के लिए सऊदी अरब की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सऊदी वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने रॉयटर्स से कहा, “हम अटकलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन जब वे आधिकारिक हो जाते हैं, तो हम घोषणा करते हैं।”
सीरिया पर विश्व बैंक का करीब 15 मिलियन डॉलर बकाया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय सहायता लेने से पहले चुकाना होगा। लेकिन सूत्रों का कहना है कि दमिश्क के पास विदेशी मुद्रा की कमी है और विदेशों में रखी संपत्तियों का उपयोग करके कर्ज चुकाने की पिछली योजनाएं काम नहीं आई हैं।
विश्व बैंक के अधिकारियों ने देश के बिजली ग्रिड के पुनर्निर्माण में मदद के लिए धन देने पर चर्चा की है, जो वर्षों से चल रहे युद्ध के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यह देखना अभी बाकी है कि सऊदी अरब की मदद से सीरिया को अपने पैरों पर खड़ा होने में कितना समय लगेगा या फिर वह ईरान के बजाय सऊदी अरब और कतर जैसे देशों की कठपुतली बनकर रह जाएगा।