India News (इंडिया न्यूज),  Lebanon Arabic Connection To France: अरबी दुनिया के मुस्लिम देशों की आधिकारिक भाषा है, लेकिन एक देश ऐसा भी है जहां फ्रेंच भाषा का बोलबाला है। 5.5 मिलियन की आबादी वाले लेबनान में 2.5 मिलियन से ज्यादा लोग फ्रेंच बोलते हैं। दिलचस्प बात ये है कि लेबनान की 68 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। अब सवाल ये है कि अरबों के बीच फ्रेंच भाषा का बोलबाला कैसे बढ़ गया? अगर आप लेबनान जाएंगे तो आपको आसानी से लोग फ्रेंच बोलते हुए मिल जाएंगे।

इजराइल ने लेबनान पर किए हवाई हमले

इजराइल ने लेबनान पर हवाई हमले करने के बाद से ही यह देश में चर्चा में हैं। इजराइल ने इस हमलों में हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया गया है। 1600 हमलों में 492 लोगों की मौत हुई है। इमारतें नष्ट हो गई हैं। आइए जानते हैं कि मुस्लिम देश लेबनान में फ्रांस ने अपना वर्चस्व कैसे स्थापित हुआ?

एक इस्लामी देश में एक यूरोपीय भाषा कैसे पनपी?

यूरोपीय भाषा फ्रेंच लेबनान का हिस्सा कैसे बनी, यह समझने के लिए हमें इतिहास के पन्नों को पलटना होगा। लेबनान की आजादी से पहले फ्रांस ने इस पर कब्जा कर रखा था। फ्रांसीसी शासन के दौरान यहाँ उनकी कॉलोनियाँ स्थापित हुईं थी। जिसके बाद लोगों की आबादी बढ़ी। उनकी भाषा और संस्कृति वहां पर फैलने लगी। फ्रांस ने दशकों तक लेबनान पर अपना राज किया। यह राज 1943 तक जारी रहा जिसके बाद लेबनान को फ्रांस से आजादी मिली।

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लेबनान में अशांति होने पर फांस होता है

यही वजह है कि जब भी लेबनान में अशांति होती है, फ्रांस सक्रिय हो जाता है और कई कदम उठाता है। फ्रांस ने लेबनान पर ऐसा असर छोड़ा है कि आज तक वह पूरी तरह से इससे बाहर नहीं निकल पाया है। स्थानीय लेबनानी अपनी बातचीत में फ्रेंच और अरबी का इस्तेमाल करते हैं। लेबनान में खाड़ी देशों या इराक या ईरान की तुलना अलग बनाता है और यहां पर यूरोपीय प्रभाव बहुत अधिक महसूस किया जाता है। यह एक दिलचस्प स्थिति है क्योंकि स्थानीय लेबनानी लोग अपने वाक्यों में जिन अरबी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं उनमें फ्रेंच का प्रभाव साफ दिखाई देता है। लेबनान में बड़ी संख्या में लोग फ्रेंच बोलते हैं और इसी भाषा में पढ़ाई भी करते हैं। लेबनान की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी फ्रेंच बोलती है।

70 प्रतिशत स्कूलों में फ्रेंच दूसरी भाषा है

लेबनान के 70 प्रतिशत स्कूलों में फ्रेंच दूसरी भाषा है। आमतौर पर माना जाता है कि इस मुस्लिम देश में सिर्फ शिया और सुन्नी मुसलमान रहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यहाँ ईसाइयों की बड़ी आबादी है। इस आबादी में सबसे ज्यादा फ्रेंच बोली जाती है। अगर कोई लेबनान जाता है, तो वहाँ अरबी, फ्रेंच और अंग्रेज़ी जैसी भाषाएँ सबसे ज्यादा सुनने को मिलती हैं।

लेबनान के लिए फ्रेंच सिर्फ एक भाषा नहीं है

फ्रेंच सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह यहाँ व्यापार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बीच एक पुल का काम करती है। जो विदेशी लोगों को लेबनान से जोड़ती है। यह व्यापार के दायरे को बढ़ाने में मदद करती है। यह यूरोपीय देशों के साथ संबंध बनाने में अपनी भूमिका निभाती है।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने जताई चिंता

यही वजह है कि फ्रांस का लेबनान से खास जुड़ाव है। लेबनान में हुए इसराइली हमलों के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने बम धमाकों पर गहरी चिंता जताई है। उनका मानना ​​है कि ऐसी घटनाओं से तनाव बढ़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने लेबनान के राजनीतिक और सैन्य नेताओं से जिम्मेदारी से काम करने की अपील की है। उन्होंने सभी लेबनानी दलों से संयम बनाए रखने को कहा है।

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