India News (इंडिया न्यूज), Pakistani Journalist Impressed By S Jaishankar: मंगलवार (15 अक्टूबर, 2024) को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित एक अनौपचारिक रात्रिभोज के दौरान उनसे मुलाकात की। दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं। इन दोनों ने काफी गर्मजोशी से मुलाकात की। जिसके बाद पाकिस्तान की एक पत्रकार आरजू काजमी ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की खूब तारीफ की है। हम आपको बताते चलें कि, एस.सी.ओ. शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष इशाक डार के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता निर्धारित नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंध ठंडे बने हुए हैं।
एयरबेस पर गर्मजोशी हुआ स्वागत
मंगलवार को जयशंकर पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान एयरबेस पर उतरे, जिससे वे नौ वर्षों में पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बन गए। पाकिस्तान का दौरा करने वाली पिछली विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं। एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने से पहले भारत के विदेश मंत्री ने भारतीय उच्चायोग के राजनयिकों के साथ सुबह की सैर की, इसके बाद उन्होंने इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग के परिसर में अर्जुन का पौधा लगाया। इसको लेकरभारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि, “हमारे उच्चायोग परिसर में टीम @IndiainPakistan के सहकर्मियों के साथ सुबह की सैर।” उन्होंने एक पोस्ट और भी डाला जिसमें उन्हें उच्चायोग के परिसर में भारतीय राजनयिकों की मौजूदगी में अर्जुन का पौधा लगाते हुए दिखाया गया है। उन्होंने लिखा, “@IndiainPakistan परिसर में अर्जुन का पौधा लगाना #Plant4Mother के प्रति एक और प्रतिबद्धता है।”
कौन-कौन से देश हो रहे इस शिखर सम्मेलन में शामिल
शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले एस.सी.ओ. सदस्य देशों के अन्य नेताओं में चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग, बेलारूस के प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, कजाकिस्तान के प्रधानमंत्री ओल्जास बेक्टेनोव, रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तीन, ताजिक प्रधानमंत्री कोहिर रसूलजोदा, उज्बेक प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अरिपोव, किर्गिस्तान के मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष झापारोव अकीलबेक और ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ शामिल हैं। भारत ने पहले भी पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते तथा द्विपक्षीय संबंधों को पुनः शुरू करने के लिए विचार-विमर्श केवल अनुकूल माहौल में ही हो सकता है।
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