India News (इंडिया न्यूज), Middle East Climate Crisis: देश-दुनिया में तेजी से प्राकृतिक बदलाव हो रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है मनुष्यों के द्वारा कुदरत के साथ अपने सहूलियत के हिसाब से छेड़छाड़ करना। इस वजह से कई देशों में भीषण गर्मी भी पड़ती है। जिसकी वजह से उन देशों में हाहाकार मच गया है। वहीं भारत के कई हिस्सों में मई-जून में जब तापमान 45 डिग्री से ऊपर चला जाता है तो हीट इंडेक्स 50 को भी पार कर जाता है। इस कारण भीषण गर्मी का एहसास होता है। लेकिन अगर किसी जगह पर हीट इंडेक्स 82.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाए तो उस जगह की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। दरअसल, दक्षिणी ईरान के एक मौसम केंद्र ने 82.2 डिग्री सेल्सियस (180 डिग्री फारेनहाइट) का हीट इंडेक्स दर्ज किया है।
भीषण गर्मी की चपेट में ईरान
अगर इसकी पुष्टि हो जाती है तो यह धरती पर अब तक का सबसे अधिक हीट इंडेक्स होगा। यह अत्यधिक तापमान एक एयरपोर्ट के मौसम केंद्र पर दर्ज किया गया। जहां हवा का तापमान 38.9 डिग्री सेल्सियस (102 डिग्री फारेनहाइट) था और 85 प्रतिशत सापेक्ष आर्द्रता ने अभूतपूर्व हीट इंडेक्स बनाया। एक अमेरिकी मौसम विज्ञानी कॉलिन मैकार्थी ने सोशल मीडिया पर कहा कि आंकड़ों की सटीकता को सत्यापित करने के लिए एक आधिकारिक जांच की आवश्यकता होगी। अगर पुष्टि हो जाती है तो ये रीडिंग पिछले रिकॉर्ड को पार कर जाएगी। जो इस क्षेत्र को प्रभावित करने वाली भीषण गर्मी की स्थिति को प्रस्तुत करता है। जलवायु वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस तरह की भीषण गर्मी की घटनाएं अधिक बार और तीव्र होने की संभावना है।
मध्य पूर्व में भीषण गर्मी
बता दें कि, ईरान के मौसम विज्ञान संगठन को उम्मीद है कि 31 अगस्त से तापमान धीरे-धीरे बढ़ेगा। ईरान और पड़ोसी देशों के अधिकारियों ने गर्मी की चेतावनी जारी की है और निवासियों से गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति सावधानी बरतने का आग्रह किया है। हाल के हफ्तों में पूरे मध्य पूर्व में अभूतपूर्व गर्मी की लहर चल रही है क्योंकि इराक और ईरान में तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। गर्मी के कारण पूरे क्षेत्र में कई बार बिजली गुल हो गई है। वहीं ताप सूचकांक को स्पष्ट तापमान के रूप में भी जाना जाता है। यह मापता है कि सापेक्ष आर्द्रता को हवा के तापमान के साथ मिलाने पर मानव शरीर कितना गर्म महसूस करता है। इसकी गणना छायादार क्षेत्रों के लिए की जाती है। यह प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश, शारीरिक गतिविधि या हवा को ध्यान में नहीं रखता है।
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