इंडिया न्यूज, China News (China Space Station): चीन के अपने निमार्णाधीन अंतरिक्ष स्टेशन तिआंगोंग में मौजूद उसके 3 अंतरिक्ष यात्री आज प्रयोगशाला के मॉड्यूल में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गए हैं। चीन की आधिकारिक मीडिया के मुताबिक निमार्णाधीन अंतरिक्ष स्टेशन तिआंगोंग के लिए रविवार को पहला कोर माड्यूल लैब लांच था। यह 17.9 मीटर लंबा है।

यह दक्षिणी द्वीप प्रांत हैनान के तट पर वेनचांग अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण केंद्र से लांग मार्च-5बी वाई3 राकेट लैब वेनतिआन को लेकर अंतरिक्ष रवाना हुआ था। इसके अंदर आज अंतरिक्ष में पहले से मौजूद उसके 3 यात्री प्रवेश कर गए है। बता दें कि चीन इस साल के अंत तक अपने अंतरिक्ष स्टेशन का काम पूरा करने में जुटा है। इसके बाद पूरी दुनिया में चीना इकलौता ऐसा देश होगा जिसके पास खुदा का अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन (आईएसएस) होगा।

बताया गया है कि जैसे ही चीनी अंतरिक्ष वाहन तिआंगोंग नियोजित कक्षा में प्रवेश करने किया, उसके बाद सोमवार तड़के अंतरिक्ष स्टेशन के सामने वाले हिस्से के साथ वेंटियन मॉड्यूल को संबद्ध किया गया। तिआंगोंग में 3 सदस्यीय क्रू मिशन कमांडर वरिष्ठ कर्नल चेन डोंग, वरिष्ठ कर्नल लिउ यांग और वरिष्ठ कर्नल काइ सुझे लैब माड्यूल में रिसर्च करेंगे और उसकी स्थिति एवं आंतरिक उपकरणों की जांच करेंगे।

पहली बार डॉकिंग प्रक्रिया का संचालन

जानकारी के मुताबिक पहली बार चीन के दो 20-टन-स्तर के अंतरिक्ष यान ने कक्षा में संबद्ध होते हुए डॉकिंग प्रक्रिया का संचालन किया है। इतना ही नहीं, क अंतरिक्ष यात्रियों के अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवास के दौरान अंतरिक्ष में मुलाकात और डॉकिंग प्रक्रिया भी पहली बार संपन्न हुई है। यह जानकारी चाइना मेन्ड स्पेस एजेंसी (सीएमएसए) ने आधिकारिक मीडिया को दी।

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रोबोट के जएि बदली जाएगी वेंटियन की जगह

रिपोर्ट के अनुसार, डॉकिंग के बाद, अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण कर रहे तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने प्रयोगशाला में प्रवेश किया। इस में मिशन के योजनाकारों ने कहा कि आने वाले हफ्तों में, वेंटियन की एक रोबोट उपकरण के माध्यम से जगह बदली जाएगी और नयी जगह पर आने के बाद यह वहीं रहेगी तथा दीर्घकालिक संचालन के लिए तैयार होगी। नया लैब मॉड्यूल कोर मॉड्यूल के बैकअप और एक शक्तिशाली वैज्ञानिक प्रयोग मंच के रूप में काम करेगा।

अभी है कई देशों का साझा स्पेस स्टेशन

गौरतलब है कि अभी जो अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन है, उसमें रूस और अमेरिका के वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन रूस और अमेरिका के अलावा कुछ अन्य देशों का साझा प्रोजेक्ट है। वहीं अब चीन अकेले ही अपने अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा करने में जुटा है। यह रूस निर्मित आइएसएस का प्रतिस्पर्द्धी भी होगा। जानकारों का कहना है कि आने वाले कुछ सालों में आईएसएस के रिटायर हो जाने के बाद सीएसएस अंतरिक्ष में एक मात्र स्टेशन रह जाएगा।

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