India News (इंडिया न्यूज), Sudan Mundari Tribe protects cows with AK-47: दुनियाभर में कई ऐसी जनजातियां हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। कुछ जनजातियां अपने आक्रामक रवैये के कारण बाहरी लोगों को अपने इलाके में घुसने नहीं देती हैं। आज हम आपको एक ऐसी अनोखी जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो गायों से बेहद प्यार करती हैं। ये एके 47 जैसे खतरनाक हथियारों से उनकी रक्षा करती हैं। इस जनजाति का नाम मुंदरी जनजाति है, जो अफ्रीकी देश सूडान में रहती है। इनके लिए गाय ही सबकुछ है।
हमारे देश भारत में जहां गाय को माता का दर्जा दिया जाता है, इसके बावजूद गौ तस्करी के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन सूडान की मुंदरी जनजाति के इलाके में अगर गायों पर कोई खतरा नजर आता है तो ये लोग उनकी जान लेकर या अपनी जान देकर उनकी रक्षा करते हैं। मुंदरी जनजाति के लोगों के लिए गाय का होना जीवन के समान है। जिन लोगों के पास गाय नहीं होती, उन्हें मृत माना जाता है। इस जनजाति के लोग गायों का बहुत सम्मान करते हैं क्योंकि वे उन्हें चलता-फिरता औषधालय और धन का भंडार मानते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मुंदरी जनजाति के लोग अपने मवेशियों के साथ सोते हैं। इन मवेशियों को कोई मार न दे या चुरा न ले, इसके लिए वे एके 47 जैसे आधुनिक हथियारों के साथ दिन-रात सुरक्षा में लगे रहते हैं। यह जनजाति दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा से करीब 75 किलोमीटर उत्तर में रहती है।
मुंदरी समुदाय के लोग गायों को ‘मवेशियों का राजा’ कहते हैं। यहां की गायों की ऊंचाई भी सामान्य गायों से ज्यादा होती है। यहां पाई जाने वाली गायों की ऊंचाई 7 से 8 फीट होती है, जबकि लंबाई इससे भी ज्यादा होती है। गोहत्या को सबसे बड़ा पाप मानने वाली मुंदरी जनजाति के लोग शादियों में भी गाय लाते हैं। इन लोगों के लिए गाय ही सबकुछ होती है।
इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये लोग अपने बच्चों का ख्याल रखें या नहीं, लेकिन गायों की देखभाल में ये कोई कसर नहीं छोड़ते। ये लोग गर्मी से गायों को बचाने के लिए उन पर भभूत भी लगाते हैं। साथ ही यहां के लोग गाय के गोबर से लेकर मूत्र तक को ये बेहद शुद्ध और पवित्र मानते हैं। यहां के लोग गोमूत्र से सिर धोते हैं, और गोबर से अपने दांत साफ करते हैं। इतना ही नहीं, ये गोबर को सुखाने के बाद पाउडर के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं। मुंदरी जनजाति के लोग गोमूत्र भी पीते हैं, क्योंकि इन्हें लगता है कि इससे उनकी गंदगी दूर होती है।
सूखे की स्थिति होने पर भी इस जनजाति के लोग गायों का कोई ख्याल में कोई कमी नहीं रखते। पानी की कमी के बावजूद ये खुद भले ही कम पानी पीते हों, लेकिन गायों को भरपूर पानी पिलाते हैं। ये गायें ही इनकी आय का एकमात्र जरिया हैं। इन गायों की कीमत 40 से 50 हजार रुपये तक है।
अगर कोई गाय मर जाती है तो यहां के लोग रोते-बिलखते हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे परिवार का कोई सदस्य गुजर गया हो। गायों के मरने के बाद ये लोग कुछ दिनों तक खाना-पीना भी छोड़ देते हैं। ये गाय को अपने परिवार का सबसे अहम हिस्सा मानते हैं। साथ ही इनकी गायें काफी समझदार भी होती हैं। ये अपने मालिक की आवाज पहचान लेती हैं और जवाब देकर उन्हें बताती हैं कि वो सुरक्षित हैं। इन लोगों का मानना है कि गोमूत्र और गोबर से बीमारियां दूर रहती हैं।
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