India News (इंडिया न्यूज),Israel-Iran war:ईरान ने इजराइल के खिलाफ घेराबंदी शुरू कर दी है। पिछले शुक्रवार को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अरब देशों से एकजुट होने की अपील की थी, वहीं अब ईरान के विदेश मंत्री सऊदी अरब समेत क्षेत्र के कई देशों का दौरा करेंगे। इस दौरे का मकसद मुस्लिम देशों को इजराइल के खिलाफ एकजुट करना है, ताकि क्षेत्र में बढ़ते तनाव और गाजा-लेबनान में इजराइल के ‘अत्याचार’ को रोका जा सके।ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची सबसे पहले सऊदी अरब का दौरा करेंगे। इन यात्राओं के बारे में अराघची ने कहा है कि गाजा और लेबनान में यहूदी प्रशासन के अपराधों और क्षेत्र के बदलते हालातों को रोकने के लिए हमारी बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि वह अपने दौरे की शुरुआत रियाद से करेंगे, जिसके बाद वह क्षेत्र के बाकी देशों की राजधानियों का दौरा करेंगे।
ईरानी विदेश मंत्री ने साफ किए अपने इरादे
ईरान के विदेश मंत्री की इस यात्रा को इजराइल के खिलाफ बड़ा मोर्चा तैयार करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इजराइल द्वारा ईरान को दी जा रही धमकियों और उसके छद्म समूहों के खिलाफ की जा रही आक्रामक कार्रवाई के चलते ईरान अब ज्यादा सतर्क नजर आ रहा है।ईरान जानता है कि अगर सऊदी अरब समेत क्षेत्र के सभी मुस्लिम देश एकजुट हो जाएं तो इजरायल पर गाजा और लेबनान में जारी हमलों को रोकने के लिए दबाव बनाया जा सकता है। दौरे से पहले सरकारी मीडिया से बात करते हुए ईरानी विदेश मंत्री ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं, उन्होंने कहा है कि वह इन देशों के साथ मिलकर इजरायल के खिलाफ सामूहिक आंदोलन खड़ा करने की कोशिश करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्र में बढ़ते संघर्ष और तनाव को रोकने के लिए खाड़ी अरब देशों और ईरान ने पिछले हफ्ते एशियाई देशों की एक अहम बैठक में हिस्सा लिया था जिसका आयोजन कतर ने किया था। इस बैठक को लेकर ईरान के विदेश मंत्री ने कहा है कि ईरान और जीसीसी (गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल) के बीच एक अनौपचारिक बैठक हुई है। उन्होंने कहा कि इन देशों के साथ हमारे संबंधों में उतार-चढ़ाव रहा है, लेकिन हम इन संबंधों को मजबूत क्षेत्रीय सहयोग की ओर ले जाना चाहते हैं।
आपको बता दें कि सऊदी अरब के साथ ईरान के संबंध बहुत अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में चीन की मध्यस्थता में दोनों देशों ने अपने बीच की कड़वाहट को भुलाकर आगे बढ़ने का फैसला किया है। हालांकि, इसके बावजूद दोनों के बीच कुछ दूरी जरूर देखने को मिली है। लेकिन पिछले हफ्ते ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की अपील के बाद बड़ा बदलाव देखने को मिला।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि खाड़ी अरब देशों, खासकर ईरान जैसे ऊर्जा आपूर्ति करने वाले प्रमुख देशों ने तेहरान को भरोसा दिलाया है कि वे ईरान-इजराइल संघर्ष में तटस्थ रहेंगे। दरअसल, सऊदी अरब समेत कई खाड़ी देशों में अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं, माना जाता है कि मध्य पूर्व में अमेरिका और इजरायल के बढ़ते दखल में इन सैन्य ठिकानों की अहम भूमिका है।
अगर ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता है तो अमेरिका इन सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल ईरान के खिलाफ कर सकता है। इसलिए खाड़ी देशों के रुख ने ईरान को बड़ी राहत दी है। खाड़ी अरब देशों के इस भरोसे ने ईरान की उम्मीदों को भी हवा दी है, जिसके चलते उसने इन देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश शुरू कर दी है।
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