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Nawaz Sharif: 'चुनाव से पहले नवाज़ शरीफ़ छोड़ सकते हैं पाकिस्तान', एतज़ाज़ अहसन का दावा

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : January 1, 2024, 12:08 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Nawaz Sharif: पाकिस्तान में चुनाव को लेकर पक्ष-विपक्ष लगातार घमासान चल रहा है इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है जहां एक वरिष्ठ वकील एतज़ाज़ अहसन ने नवाज शरीफ को लेकर एक बड़ा दावा किया है कि, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ आगामी आम चुनावों से पहले एक बार फिर देश छोड़ सकते हैं और विदेशों से नतीजों पर नज़र रख सकते हैं, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के द्वारा जानकारी में बताया गया कि, अहसान ने यह बात शुक्रवार को एक निजी समाचार चैनल के साथ बातचीत के दौरान कही।

अहसन ने नवाज को चुनाव से पीछे हटने का दिया संकेत

उन्होने यह देखते हुए कि दावा किय़ा कि पीएमएल-एन नेता “वैसे भी विदेश में हैं”, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण चुनावी अवधि के दौरान नवाज की अनुपस्थिति की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अहसन ने आगे दावा किया कि, जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजलुर रहमान संभावित रूप से दौड़ से हट सकते हैं। उन्होंने उन्हें जीत के बजाय पीछे हटने का ढोल बजाने वाला बताया, जो सक्रिय भागीदारी से एक कदम पीछे हटने का संकेत है। उन्होंने कहा, “दो ढोल पीटे जा रहे हैं – या तो जीत के या पीछे हटने के – फजल पीछे हटने के ढोल बजाते दिख रहे हैं।”

PML-N Supremo Nawaz Sharif To Return To Pakistan In December 2022 Report

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले उन्होंने नवाज को ‘लाडला’ (विशेषाधिकार प्राप्त) करार दिया था और पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) और अंतरिम सरकार पर आगामी चुनावों में नवाज शरीफ के लिए दो-तिहाई बहुमत सुरक्षित करने के प्रयास करने का आरोप लगाया था।

अहसान ने चुनावी निकाय की आलोचना की

बता दें कि, नवाज चार साल के आत्म-निर्वासन पर थे और 21 अक्टूबर को पाकिस्तान लौट आए। अपनी मातृभूमि पर लौटने पर, उन्होंने प्रतिशोध लेने में उदासीनता व्यक्त की और प्रगति की दिशा में एक नए रास्ते पर चलने पर जोर दिया। पीटीआई और ईसीपी के बीच चल रहे टकराव पर प्रकाश डालते हुए, अहसान ने मामले को आगे बढ़ाने में चुनावी निकाय की दृढ़ता की आलोचना की। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ईसीपी की भूमिका पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि उसे विवादों में उलझने के बजाय चुनाव कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उच्च न्यायालय के फैसले का किया जिक्र

अहसन ने पीटीआई के चुनाव चिन्ह को बहाल करने के पेशावर उच्च न्यायालय (पीएचसी) के फैसले को चुनौती देने वाले ईसीपी के फैसले का जिक्र करते हुए पार्टी के खिलाफ ईसीपी के पूर्वाग्रह की आलोचना की। इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि, क्या ईसीपी चुनाव करा रही है या लड़ रही है? उन्होंने पीएचसी के निर्देशों का पालन करने में आयोग की अनिच्छा का भी दावा किया, जिसमें ईसीपी की आधिकारिक वेबसाइट पर पीटीआई के इंट्रा-पार्टी चुनाव प्रमाणपत्र का प्रकाशन और पार्टी के चुनाव चिह्न की बहाली शामिल है। मिले रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने विवादित फैसलों के नतीजों पर भी विचार करते हुए कहा कि, इससे कानूनी चुनौतियों की श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया होगी। उन्होंने इस तरह की कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर हाई कोर्ट जिला अदालत के फैसले को पलट देता है, तो क्या जिला जज को सुप्रीम कोर्ट में जाकर पूछना चाहिए कि हाई कोर्ट ने उनके फैसले के खिलाफ फैसला क्यों दिया?”

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