India News (इंडिया न्यूज), Nepal Political Instability : भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इस समय हिंसक विरोध प्रदर्शन चल रहा है। वहां के लोग राजशाही को वापस लाने की मांग कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने रुख पर अड़े हुए हैं और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ्तार करने की बात कर रहे हैं, जिससे वहां के हालात और भी बदतर हो गए हैं। पीएम ओली ने कहा है कि हिंसा भड़काने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ओली सरकार का कहना है कि यह हिंसक विरोध प्रदर्शन उकसावे की कार्रवाई है।
राजशाही के अलावा नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की भी मांग हो रही है। इसी कड़ी में 8 अप्रैल 2025 को राजधानी के बल्खू इलाके में लोगों की भीड़ राजशाही के समर्थन में रैली के लिए इकट्ठी हुई, जो अपने हाथों में नेपाली झंडा और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीर लिए हुए थे। आपको बता दें कि नेपाल साल 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद लोकतांत्रिक गणराज्य बना था।
Nepal Protests : गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा नेपाल, राजशाही को लेकर उग्र हुआ प्रदर्शन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहां भीड़ हिंसक होती जा रही है। तोड़फोड़ और दंगे किए जा रहे हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। उत्तेजित लोगों को इमारत पर चढ़कर तोड़फोड़ करते देखा गया है। मार्च में भी नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि नेपाल में गणतंत्र राज्य की स्थापना को अभी केवल 17 साल हुए हैं। संविधान को लागू हुए अभी 10 साल भी पूरे नहीं हुए हैं।
इस दौरान नेपाल में 14 सरकारें बदल चुकी हैं। नेपाल की कोई भी निर्वाचित सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है। वर्ष 2015 से प्रधानमंत्री की कुर्सी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के केपी शर्मा ओली, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) के पुष्प कमल दहल यानी प्रचंड और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा के बीच घूमती रही है।
1846 से 1951 तक नेपाल पर राणा परिवार के प्रधानमंत्रियों का शासन रहा और राजपरिवार की भूमिका प्रतीकात्मक तक ही सीमित थी। देश में लोकतंत्र स्थापित करने का पहला प्रयास 1951 में किया गया था, जब नेपाली कांग्रेस के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के कारण राजा त्रिभुवन की मदद से राणा परिवार को सत्ता से हटा दिया गया था। फिर 1960 में त्रिभुवन के बेटे महेंद्र बीर विक्रम शाह देव ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को भंग कर दिया। 2008 में नेपाल को लोकतांत्रिक राज्य घोषित किया गया।