India News (इंडिया न्यूज), Nepal Political Crisis: नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है। इसके लिए जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इससे हिंसा भड़क गई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। बढ़ते तनाव के बीच गृह मंत्रालय ने स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षा प्रमुखों के साथ आपात बैठक बुलाई है। काठमांडू के कई इलाकों में राजशाही समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस दौरान एक कूरियर कॉम्प्लेक्स, शॉपिंग मॉल, एक राजनीतिक पार्टी मुख्यालय और एक मीडिया हाउस की इमारत में आग लगा दी गई, जिसमें 12 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इस बढ़ते प्रदर्शन और हिंसा के चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है। बैठक का मुख्य उद्देश्य काठमांडू में हुई हिंसा और आगजनी की घटनाओं पर चर्चा करना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार इस हिंसा के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को जिम्मेदार ठहराकर उन्हें गिरफ्तार करने पर विचार कर रही है। कैबिनेट के एक मंत्री के अनुसार, ज्ञानेंद्र शाह की गिरफ्तारी के संबंध में सुरक्षा प्रमुखों की राय लेने और संभावित परिणामों का आकलन करने के लिए चर्चा की जा रही है।
Nepal Political Crisis (नेपाल में भड़की हिंसा पर पीएम ओली ने बुलाई आपातकालीन बैठक)
काठमांडू में हिंसा के कारण त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा। कई उड़ानों को भारत की ओर मोड़ दिया गया, जिनमें बैंकॉक से एयर एशिया, ढाका से बांग्लादेश एयरलाइंस, दुबई से फ्लाई दुबई और सियोल से कोरियन एयर की उड़ानें शामिल हैं। इसके अलावा कतर एयरवेज, फ्लाई दुबई और बाटिक एयर की उड़ानें भी रोक दी गई हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, नेपाल ने 2008 में राजशाही को खत्म कर एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की। हालांकि, हाल ही में राजशाही की बहाली की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण राजनीतिक भ्रष्टाचार, आर्थिक अस्थिरता और बार-बार सरकारों के बदलने के प्रति जनता में बढ़ती नाराजगी है।
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के अवसर पर जनता से समर्थन की अपील की, जिससे यह आंदोलन और तेज हो गया। इसके बाद धार्मिक यात्रा से लौटने पर त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। प्रदर्शनकारियों ने “राजा वापस आओ, देश बचाओ” जैसे नारे लगाए, जिससे पता चलता है कि राजशाही के प्रति समर्थन अभी भी गहरा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल में हिंदू राजशाही की बहाली की मांग को लेकर एक मजबूत आंदोलन आकार ले रहा है। इसका मुख्य कारण भ्रष्टाचार, आर्थिक गिरावट और राजनीतिक अस्थिरता के प्रति जनता का बढ़ता आक्रोश है। 2008 से अब तक नेपाल में 13 सरकारें बदल चुकी हैं, लेकिन राजनीतिक स्थिरता हासिल नहीं हो पाई है।