India News (इंडिया न्यूज़), Nepal CAA, काठमांडू: नेपाल के राष्ट्रपति, रामचंद्र पौडेल ने नेपाल नागरिकता अधिनियम, 2063 में संशोधन करने के लिए तैयार किए गए विधेयक को अपनी सहमति दे दी है। इस बिल को मंजूरी तब मिली नेपाल के पीएम पुष्‍पकमल दहल ‘प्रचंड’ भारत के दौरे पर है।

  • 4 लाख लोगों को होगा फायदा
  • तिब्बतियों के मुद्दे पर चीन नाराज
  • 8 महीने बाद मिली मंजूरी

संसद द्वारा विधेयक को पास करने के 8 महीने बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली है। नेपाल के संविधान के अनुच्छेद (2), (3), (4) और अनुच्छेद 66 के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर इसें मंजूरी दी है।

दो बार वापस भेजा गया

संसद के दोनों सदनों ने नेपाल नागरिकता (प्रथम संशोधन) विधेयक पारित किया था जिसे नेपाल नागरिकता अधिनियम, 2063 में संशोधन के लिए बनाया गया था। विधेयक को 31 जुलाई, 2022 को सदन में पेश किया गया था लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने इसे वापस कर दिया था। सुझावों के साथ दो बार बिल को राष्ट्रपति ने वापस कर दिया था।

4 लाख लोगों को होगा लाभ

नागरिकता विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर के साथ, लगभग 4,00,000 लोगों को राज्य पहचान पत्र दिया जाना जरुरी हो गया है। नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली विदेशी महिलाओं को नेपाल में नागरिकता नहीं मिलने की समस्या का सामना करना पड़ता था, जिन्हें प्राकृतिक नागरिकता प्राप्त करने के लिए सात साल तक इंतजार करना पड़ा। अब उन्हें नागरिकता और राजनीतिक अधिकार तुरंत मिल जाएगा।

चीन को लगी मिर्ची

इस विधेय़क के पास होने के बाद नेपाल के पड़ोसी चीन को मिर्ची लग गई है। भारत के बाद सबसे ज्याद तिब्बती नेपाल में रहते है। चीन का कहना था कि इस कानून के पास होने से तिब्‍बती शरणार्थियों को नेपाली नागरिकता और संपत्ति का अधिकार मिल सकता है। ऐसे में तिब्‍बती लोग भी नेपाल के नागरिक बन जाएंगे। चीन के कारण ही यह विधेयक अभी तक टाला जा रहा था। चीनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की हमेशा प्राथमिकता रही है कि तिब्‍बती शरणार्थी समुदाय पर नियंत्रण हो।

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