India News (इंडिया न्यूज), KP Sharma Oli: नेपाल में राजनीतिक संकट चरम पर है। पिछले दिनों पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के विश्वास मत हार जाने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री नियुक्त हुए केपी शर्मा ओली ने रविवार (21 जुलाई) को संसद में आसानी से विश्वास मत जीत लिया। वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता ने एक सप्ताह पहले कैबिनेट के 21 अन्य सदस्यों के साथ नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। वहीं सरकार बनाने के लिए नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 सदस्यों का समर्थन जरूरी है। इस दौरान ओली को 188 वोट मिले। उन्हें जरूरी समर्थन से 50 वोट ज्यादा मिले।
बता दें कि, नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने पिछले रविवार को गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस (एनसी) और अन्य छोटी पार्टियां भी गठबंधन सरकार का हिस्सा हैं। वहीं, केपी शर्मा ओली (72) ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की जगह ली जो शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए थे। इसके चलते ओली के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। वहीं नेपाल के संविधान के अनुसार ओली को अपनी नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना जरूरी था।
KP Sharma Oli
Nepal Prime Minister K P Sharma Oli wins vote of confidence in Parliament
— Press Trust of India (@PTI_News) July 21, 2024
इससे पहले नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने 11 अक्टूबर 2015 से 3 अगस्त 2016 तक, 5 फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक 13 मई 2021 से 13 जुलाई 2021 तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहे।
नेपाल के नए प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने रविवार (21 जुलाई) को पहली बार नेपाली कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के गुप्त सात सूत्री समझौते का ब्योरा दिया। जिसके तहत 2 साल तक सरकार चलाने के बाद वह अपने गठबंधन सहयोगी पार्टी के नेता शेर बहादुर देउबा को सत्ता सौंप देंगे। दरअसल, संसद में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करते हुए ओली ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को गिराने के लिए अपनी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) और प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ दो सप्ताह पहले हुए समझौते का खुलासा किया। बता दें कि, नेपाल ने लगातार राजनीतिक उथल-पुथल का सामना किया है। जहां गणतंत्र प्रणाली लागू होने के बाद पिछले 16 सालों में देश ने 14 सरकारें देखी हैं।