India News (इंडिया न्यूज), Iran Nuclear Program : मीडिल ईस्ट में पिछले कुछ वक्त से जारी संघर्ष की वजह से काफी खून खराबा हो चुका है। इजरायल और गाजा से शुरू हुआ संघर्ष समय के साथ ईरान और लेबनान कर पहुंच गया। कुछ वक्त पहले इजरायल ने ईरान पर मिलाइलों से हमला किया था। उस वक्त ये दावा किया गया था कि हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम के निशाना बनाकर किया गया है। लेकिन ईरान ने दावे का खंडन किया था। अमेरिका और इजरायल नहीं चाहते हैं कि ईरान परमाणु तकनीक हासिल करे। इसी वजह से ईरान का परमाणु कार्यक्रम (Nuclear Program) हमेशा से चर्चा में रहता है। 2015 में Joint Comprehensive Plan of Action (JCPOA) के तहत अमेरिका और ईरान के बीच समझौता हुआ था। लेकिन में अमेरिका ने 2018 में खुद को इससे अलग कर लिया था।
अब खबर सामने आई है कि ईरान JCPOA Agreement को फिर से बहाल करने की कोशिश कर रहा है। ईरान के उप विदेश मंत्री माजिद तख्त-रावंची 29 नवंबर को फिर से उन देशों के साथ बैठक करने वाले हैं, जो 2015 की बैठक में शामिल हुए थे। यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूके के प्रतिनिधि बैठक में भाग लेने वाले हैं जबकि चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका उपस्थित नहीं होंगे।
क्या है JCPOA Agreement?
2015 में हुए इस समझौते को ऐतिहासिक कहा गया था। इस समझौते के अंतर्गत ये फैसला हुआ था कि ईरान यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) को सीमित करेगा। ईरान ने यह आश्वासन दिया था कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है। लेकिन International Atomic Energy Agency (IAEA) ने महत्वपूर्ण चिंताएं व्यक्त की हैं।
लेकिन 2018 में ट्रंप के आने के बाद हालात बिगड़ गए। उस वक्त ट्रंप ने एकतरफा समझौते से हटने और कठोर आर्थिक प्रतिबंधों को बहाल करने का फैसला किया था। इस फैसले के बाद ईरान की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुए थे। अब ईरान को उम्मीद है कि यह समझौता एक बार फिर बहाल हो जाएगा।
ईरान का Nuclear Program
1950 के दशक में तेहरान परमाणु अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई है। ईरान के पूर्व शाह, मोहम्मद रज़ा पहलवी ने ईरान का परमाणु कार्यक्रम शुरू किया। फिर 2006 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर प्रतिबंध लगाया। 2015 में ईरान ने आर्थिक प्रतिबंधों से राहत के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करते हुए विश्व शक्तियों के साथ Joint Comprehensive Plan of Action (JCPOA) पर हस्ताक्षर किए। 2018 में संयुक्त राज्य अमेरिका JCPOA से हट गया और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए।