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No Jew Left in Afghanistan अफगानिस्तान में नहीं बचा कोई यहूदी, आखिरी महिला ने भी छोड़ा देश

Rajeev Ranjan Tiwari • LAST UPDATED : October 29, 2021, 11:37 am IST

इंडिया न्यूज, जेरूसलम

No Jew Left in Afghanistan : तालिबान राज आने के बाद अफगानिस्तान में पहली बार यहूदियों का नामो निशान मिट गया है। देश में तालिबान की सत्ता के बाद से खौफ में जी रही 83 साल की बुजुर्ग यहूदी महिला ने देश छोड़ दिया हैं। हालांकि इससे पहले सितंबर माह में जेबुलोन सिमेंटोव नाम के एक शख्स ने दावा किया था कि वह अफगानिस्तान में आखिरी यहूदी है और उसके जाने के बाद से अफगानिस्तान में कोई भी यहूदी नहीं बचा है। इस महिला का नाम टोवा मोरादी है। जेबुलोन सिमेंटोव की चचेरी बहन मोरादी का जन्म अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में ही हुआ था। पूरी जिंदगी अफगानिस्तान में बिताने के बाद आज मोरादी कहती है कि वह अपने देश अफगानिस्तान से बहुत प्यार करती है लेकिन अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उसे देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाया कदम (No Jew Left in Afghanistan)

मोरादी ने कहा कि पिछले महीने उसके चचेरे भाई सिमेंटोव ने देश छोड़ा था। अब उसे अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए देश छोड़ना पड़ रहा है। 83 साल की मोरादी के दस भाई-बहन हैं, जो जेरूशलम में रहते थे। 16 साल की उम्र में मोरादी ने घर छोड़कर एक मुस्लिम युवक ने शादी की थी और अफगानिस्तान में अपना घर बसाया था। मोरादी कहती है कि उसने कभी अपना धर्म नहीं बदला। वह आज भी यहूदी परंपराओं को अपना रही है। मोरादी ने एपी से खास बातचीत में कहा कि जब वह युवा थी, उस वक्त देश की स्थिति आज जैसी खतरनाक नहीं थी। उसका अपने मुस्लिम पड़ोसियों से अच्छा रिश्ता है। मोरादी के मुताबिक, उसके पड़ोसियों को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि वह यहूदी है। लेकिन अमेरिका के 20 साल यहां रहने के बाद जिस तरह तालिबान ने सत्ता परिवर्तन किया है, उसका यहां रहना अब मुनासिब नहीं।

कनाडा में रहती हैं खोर्शिद (No Jew Left in Afghanistan)

मोरादी की बेटी खोर्शिद कनाडा में रहती हैं, उन्होंने बताया कि वह अपनी मां को कनाडा लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे सरकार से पत्राचार कर रहे हैं। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से देश में जनता खौफ में रह रही है। सिर्फ जान ही नहीं लोगों को भूखे रहने की भी चिंता है। उधर, तालिबान ने दशकों के संघर्ष के बाद देश में शांति और सुरक्षा बहाल करने का वादा तो किया, लेकिन कट्टरपंथी समूह से जुड़े लोग उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो तालिबान विचारधारा से इत्तेफाक नहीं रखते।

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