India News (इंडिया न्यूज),Ukraine War:यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही अमेरिका ने यूक्रेन का साथ दिया है। यूक्रेन को अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य सहायता मिली है, लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने के बाद सब कुछ बदल गया है। अब अमेरिका रूस के करीब आता दिख रहा है और ट्रंप के दोस्त सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने रूस को अमेरिका के करीब लाने में मदद की है।

ज़ेलेंस्की को लगा झटका

ज़ेलेंस्की ने कल्पना भी नहीं की थी कि सऊदी अरब ऐसा कर सकता है। क्योंकि वे बड़ी उम्मीद के साथ मई 2023 में जेद्दा में होने वाले अरब शिखर सम्मेलन में गए थे और वहां मुस्लिम देशों से मदद मांगी थी। इस दौरान ज़ेलेंस्की ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान और संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे अन्य खाड़ी अरब देशों के नेताओं से भी मुलाकात की थी।

मध्यस्थता की पेशकश

उस समय सऊदी क्राउन प्रिंस ने संघर्ष को सुलझाने के लिए मास्को और कीव के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी, जिसे ज़ेलेंस्की ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि शांति के लिए एकमात्र और संभव यूक्रेनी फॉर्मूला यह है कि रूसी सैनिकों को यूक्रेनी क्षेत्र छोड़ना होगा। अब सऊदी अरब अब अमेरिका और रूस के बीच शांति वार्ता कर रहा है और उसने यूक्रेन को इससे दूर रखा है।

अरब शिखर सम्मेलन में अपने भाषण में ज़ेलेंस्की ने इस्लामी आयाम को बहुत महत्व दिया और तर्क दिया कि यूक्रेन में रूसी हिंसा के पहले शिकार क्रीमिया के मुसलमान हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने क्रीमिया के मुसलमानों को यूक्रेनी मुस्लिम संस्कृति का केंद्र और एक ऐसा क्षेत्र बताया जो वैश्विक इस्लामी दुनिया का अभिन्न अंग था और रहना चाहिए। उस समय उनके विचारों को बहुत समर्थन मिला, लेकिन अब अरब देशों का झुकाव रूस की ओर है।

इस समय अमेरिका और रूस के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं, अगर इन दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे हो जाते हैं, तो यह अरब देश के लिए अच्छी खबर होगी। क्योंकि रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण अरब देश रूस के साथ व्यापार नहीं कर पा रहे हैं।

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