India News (इंडिया न्यूज), Pakistan Aid From America : पाकिस्‍तान की खस्ता हालत के बारे में पूरी दुनिया जानती है। आतंकवाद और भारत के खिलाफ साजिशें रचते-रचते पाकिस्तान ने अपना खजाना खाली कर लिया है। अब तो हालत ये है कि पीएम शहबाज जहां जाते हैं वहां पर लोगो के सामने कटोरा फैला देते हैं। भीख मांगने की उन्हें ऐसी आदत लगगई है कि कभी आईएमएफ के पास पाकिस्तान खैरात मांगने पहुंच जाता है तो कभी अरब देशों के पास। अमेरिका की तरफ से भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता मिलती रहती थी, लेकिन ट्रंप के आने के बाद अब इसे भी बंद कर दिया गया है। ट्रंप ने पाकिस्‍तान पर एक तरह से एक्शन लेते हुए सिविल सहायता पर रोक लगा दी है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप पाकिस्तान को मिलने वाली मिलिट्री सहायता को भी बंद कर चुके थे।

बता दें कि साल 2024 में जो बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्‍तान को सिविल सहायता के रूप में 16 मिलियन डॉलर यानी 138 करोड़ रुपये दिए थे। इस राशि को पाकिस्तान में आर्थिक रूप से कमजोर जनता के उत्‍थान के लिए खर्च की जानी थी। इसके अलावा साल 2023 और 2022 में अमेरिका ने पाकिस्तान को 80 मिलियन डॉलर यानी 690 करोड़ रुपये दिए थे। ट्रंप शासन के समय लाए गए मिलिट्री एड पर रोक के फैसले को बाइडेन शासनकाल के दौरान भी जारी रखा गया था।

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पाकिस्तान को लेकर ट्रंप सख्त

पाकिस्‍तान को लेकर किया गया ये फैसला कोई या नहीं है। जानकारों का मानना है कि ट्रंप पाकिस्तान को लेकर शुरूआत से ही काफी सख्त रहे हैं। ट्रंप के इस कदम के बाद तब यह कहा गया था कि पाकिस्‍तान की फितरत ही धोखा देने की है वो हर साल अमेरिकी से इतनी मोटी रकम अफगान वार व अन्‍य कामों के नाम पर लेता है लेकिन असल में वो छलावा करता आ रहा है। इस मदद का गलत इस्‍तेमाल किया जा रह है। अब ताजा घटनाक्रम के दौरान डोनाल्‍ड ट्रंप 2.0 ने ना केवल पाकिस्‍तान बल्कि दुनिया के सभी मुल्‍कों को मिलने वाली सिविल आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है।

विदेश विभाग समीक्षा के बाद लेगा फिर से फैसला

रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी विदेश विभाग इस बात की समीक्षा करेगा कि कौन सी अमेरिकी सहायता और विकास कार्यक्रमों को जारी रखा जा सकता। दूतावासों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि फंडिंग रोकने का फैसला यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फंडिंग प्रभावी हो और राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति के अनुरूप हो।

इसको लेकर तीन महीने के अंदर विदेश विभाग की समीक्षा पूरी होने की उम्मीद है और इसके बाद राष्ट्रपति से सिफारिशें करने के लिए कि कौन सी विदेशी सहायता जारी रखी जाए और कौन सी बंद कर दी जाएं, इस संबंध में विदेश विभाग एक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे विदेश मंत्री मार्को रूबियो, राष्ट्रपति ट्रंप के सामने पेश किया जाएगा।

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