India News (इंडिया न्यूज़), Pakistan Election: पाकिस्तान के लोकतंत्र और उसके भविष्य के लिए आज का दिन सबसे अहम माना जा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान में गुरुवार यानि आज 8 फरवरी को आम चुनाव हो रहे हैं। इन आम चुनावों के चलते दुनिया के सभी प्रमुख देशों की नजरें पाकिस्तान पर हैं। लेकिन ये क्या यहां मतदान शुरू होने के 15 मिनट बाद ही माहौल गर्म हो रहा है। खबरों के अनुसार पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में इंटरनेट और मोबाइल सिग्नल बंद हो रहे हैं।
चुनाव के दिन राष्ट्र पूरी ताकत और संख्या के साथ बाहर आएगा! इमरान खान ने अपने राष्ट्र से न केवल मतदान करने बल्कि अपने वोट की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है! “वोट हमारा सबसे बड़ा हथियार है” – इमरान खान। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर देशभर में मोबाइल सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।पाकिस्तान में संसदीय आम चुनाव चल रहे हैं।
पाकिस्तान में गुरुवार को होने वाले चुनाव पर दुनिया के तमाम देशों की नजर है। विदेश मामलों के विशेषज्ञ और भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एसएन सिंह का कहना है कि पाकिस्तान के मौजूदा हालात में चुनाव महज दिखावा लग रहा है। उनका कहना है कि जिस तरह से पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पर प्रतिबंध लगाया गया और उसके बाद नवाज शरीफ की पाकिस्तान वापसी हुई, उससे आगामी चुनाव के नतीजों की तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाती है। एसएन सिंह का कहना है कि दरअसल पाकिस्तान चुनाव को लेकर एक तरह से दिखावा कर रहा है। क्योंकि पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने लोकतंत्र होने का दंम भरना चाहता है। उनका कहना है कि दरअसल पाकिस्तानी सेना विशेष परिस्थितियों में चुनाव कराने में रुचि रखती है।
पाकिस्तान में होने वाले चुनावों के चलते वहां के लोग मान रहे हैं कि खस्ताहाल हो चुकी अर्थव्यवस्था में सुधार की गुंजाइश है। जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और एशियाई मामलों के विशेषज्ञ अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि पाकिस्तान के चुनाव का मकसद महज लोकतंत्र का ढिंढोरा पीटना है। उनका कहना है कि जिस तरह से अमेरिका और आईएमएफ जैसी अहम एजेंसियां पाकिस्तान में चुनाव पर नजर रख रही हैं, उसके कई मायने हैं। अभिषेक के मुताबिक, अगर पाकिस्तान में निष्पक्ष चुनाव होते तो शायद दुनिया की बड़ी एजेंसियां उसे खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से उबरने में मदद करतीं। लेकिन अब न तो चुनाव में पारदर्शिता है और न ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों के बाद पाकिस्तान अमेरिका समेत दूसरे देशों के आगे हाथ फैलाएगा और लोकतंत्र के नाम पर मदद मांगेगा।
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