India News(इंडिया न्यूज),Pakistan: भ्रष्टाचार मामले में को लेकर पाकिस्तान(Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों सलाखों के पीछे हैं। वहीं इमरान के बाद अब उनके रिश्तेदारों पर भी कार्रवाई तेज कर दी गई है। बता दें कि, नौ मई को कोर कमांडर हाउस में हुई तोड़फोड़ के मामले में उनके भतीजे को मुकदमे के लिए सेना को सौंप दिया गया है। उन पर इस हिंसक कार्रवाई में शामिल होने का आरोप है। मिली जानकारी के अनुसार नौ और दस मई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद से हसन खान नियाजी छिपा हुआ था। लेकिन पुलिस ने उसे 13 अगस्त को एबटाबाद से गिरफ्तार कर लिया था। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थकों ने बड़ी संख्या में कोर कमांडर हाउस पर धावा बोला था और तोड़फोड़ की थी। यहीं नहीं कोर कमाडंर हाउस में आग लगा दी थी।
बता दें कि, भ्रष्टाचार के एक मामले में रेजंर्स द्वारा नौ मई को पीटीआई प्रमुख खान को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद अभूतपूर्व राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद इमरान खान को जमानत पर रिहा कर दिया गया। दंगों के दौरान रावलपिंडी में सैन्य मुख्यालय सहित दर्जनों सैन्य प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया या आग लगा दी गई थी।
जानकारी के लिए बता दें कि, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को इस मामले में कहा कि, वह एक हजार साल तक भी जेल में रहने को तैयार हैं और अपने देश के लिए जेल में ही रहेंगे। खान को एक सत्र अदालत ने पांच अगस्त को तोशाखाना मामले में सजा सुनाई थी। वह फिलहाल पंजाब प्रांत की अटक जेल में बंद हैं। खान ने कथित तौर पर तोशाखाना के उपहारों की बिक्री से प्राप्त आय को छिपाया था।
बता दें कि, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंडपीठ अगले मंगलवार यानी 22 अगस्त को इस मामले में सुनवाई करने वाली है। एक अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक अटक जेल में खान से मुलाकात के बाद आज पत्रकारों से बात करते हुए इमरान खान की कानूनी टीम के सदस्य उमर नियाजी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य अच्छा है। इसके बाद वकील ने इस मामले में कहा, इमरान को आज एक आईना और शेविंग किट प्रदान की गई। नियाजी ने कहा कि छह लोगों की टीम में से केवल उन्हें खान से मिलने की अनुमति दी गई थी। वकील ने अदालत के आदेश होने के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री तक कानूनी टीम को पहुंच न देने के लिए ‘जेलर के आचरण’ के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका दायर करने की मंशा जाहिर की।
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