India News (इंडिया न्यूज), Baloch Attack in Pakistan: भारत में कई बार आतंकियों ने बसों को रोककर यात्रियों का धर्म पूछा और फिर उनकी हत्या कर दी। सेना की टुकड़ी के ट्रकों और बसों को आरडीएक्स से उड़ा दिया गया। एक जगह से दूसरी जगह जा रहे सैनिक शहीद हो गए। भारत में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं। कुपवाड़ा को लोग आज भी याद करेंगे। जांच में पता चला कि ये पाकिस्तान की करतूत थी। अब पाकिस्तान भी ऐसे ही हमलों का सामना कर रहा है। बलूच विद्रोही बसों को रोक रहे हैं। वे उसमें बैठे यात्रियों के कार्ड चेक कर रहे हैं कि वे कहां से हैं। अगर वे पाकिस्तान के पंजाब से निकले तो उन्हें गोली मार दी जाती है। यह कोई खुशी की बात नहीं है। हिंसा के रास्ते को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन इससे पता चलता है कि पाकिस्तान ने जो बोया है, वही काट रहा है।
दरअसल, अभी फिलहाल की घटना 25 और 26 अगस्त की हैं। बलूच लड़ाकों ने रेलवे स्टेशनों, पुलिस थानों और अन्य मोटर वाहनों पर हमला करके कम से कम 38 नागरिकों को मार डाला। इतना ही नहीं, इन विद्रोहियों पर जवाबी हमले में 14 और सैन्यकर्मी मारे गए। जबकि सेना केवल 21 विद्रोहियों को ही मार सकी। ये आंकड़े किसी और के नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के हैं।
बता दें कि, पाकिस्तानी बलूच समस्या दशकों पुरानी है। बलूच अपने लिए अलग देश की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) का गठन किया है। वे गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं। जिस इलाके में वे बहुसंख्यक हैं, वहां खनिज संपदा बहुत है। इसके अलावा सामरिक महत्व का बंदरगाह भी है। चीन भी इस इलाके में काफी काम कर रहा है। खास बात यह भी है कि करीब 900 किलोमीटर का यह इलाका ईरान से भी सटा हुआ है।
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हाल ही में बलूच ज्यादा आक्रामक हो गए हैं और पाकिस्तानी सेना उनके इलाके में कमजोर पड़ गई है। ईरान से सटे होने की वजह से सीमा के दोनों तरफ से उनकी गतिविधियां चलती रहती हैं। 26 अगस्त को हथियारबंद हमलावरों ने मुशाखेल जिले से गुजर रही एक बस को रोका। यात्रियों को उतरने का आदेश दिया गया। उनके सरकारी पहचान पत्रों से उनकी पहचान की गई। जो पंजाबी मिले, उन्हें मार दिया गया। इस सामूहिक नरसंहार में 23 निर्दोष लोगों की जान चली गई। यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि 26 अगस्त को पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने बलूच नेता अकबर बुगाती को मार गिराया था।
पाकिस्तान में बलूच उसी तरह के आतंकी हमले कर रहे हैं, जैसे पाकिस्तान भारत में करता था और निर्दोष लोगों की हत्या करता था। बलूच विद्रोहियों का रास्ता हिंसा है, लेकिन उनके विद्रोह की जड़ में उनकी भाषा, पहचान और संस्कृति का सवाल है। ठीक वैसे ही जैसे पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश ने पाकिस्तान में रहते हुए किया था। भाषा और संस्कृति की पहचान बलूचों के लिए बड़ा सवाल है।
बलूच संगठनों ने हमलों की जिम्मेदारी ली है इतना ही नहीं, उन्होंने अपने अभियान का नाम ऑपरेशन हारुफ भी रखा। हारुफ का मतलब होता है कलिमा। उस इलाके में काले तूफान को भी इसी नाम से पुकारा जाता है। बलूच पाकिस्तान के बड़े हिस्से पर कब्जा करते हैं। उनके पास प्राकृतिक चीजों का अच्छा भंडार है। उनकी भाषा पाकिस्तान की उर्दू या पंजाबी मिश्रित उर्दू से बिल्कुल अलग है। 30 जिलों में 65 विधानसभा सीटों वाले बलूच शारीरिक रूप से मजबूत और स्वस्थ हैं, लेकिन पाकिस्तान में सरकारी नौकरियों या अन्य जगहों पर उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है। सेना में भी उनका प्रतिनिधित्व नगण्य है। ऐसे में उन्हें लगता है कि पाकिस्तान उनकी भाषा और संस्कृति दोनों को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है।
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