इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Pakistan News पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट ने टेरर फंडिंग केस में हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा के 6 लड़ाकों को बरी कर दिया है। जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और कई अन्य नेताओं पर टेरर फाइनेंसिंग के मामले में काउंटर-टेररिज्म विभाग ने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिसमें उन्हें अपराधी माना गया है। अलग-अलग शहरों में जमात-उद-दावा के सदस्यों पर 41 मामले दर्ज हैं।
2008 में संगठन जमात-उद-दावा नाम के संगठन ने मुंबई में आतंकी हमले को अंजाम दिया था, जिसमें 160 लोगों की मौत हुई थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रायल कोर्ट ने प्रो. मलिक जफर इकबाल, याह्या मुजाहिद, नसरुल्लाह, समिउल्लाह और उमर बहादुर को 9 साल की सजा सुनाई थी। वहीं हाफिज अब्दुल रहमान मक्की को 6 महीने कारावास की सजा दी गई थी। लेकिन सभी अपराधियों ने अपनी सजा के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में जस्टिस मोहम्मद अमीर भट्टी और जस्टिस तारिक सलीम शेख की अगुआई वाली डिस्ट्रिक्ट बेंच में अर्जी लगाई।
इनके वकील ने अदालत में दलील दी कि जिस अल-अनफाल ट्रस्ट से उनके क्लाइंट्स के नाम जोड़े गए हैं, उसका लश्कर-ए-तैयबा से कोई लेना-देना नहीं है। उनके क्लाइंट्स ने 2000 में ही लश्कर-ए-तैयबा को अपने ट्रस्ट से अलग कर दिया था। कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष का काम है कि वह ऐसे सबूत पेश करे जिससे आरोपियों का गुनाह साफ हो सके। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती।
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