India News (इंडिया न्यूज), India Basmati Rice: भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान बहुत ही नीच किस्म का देश है। अगर आप पाकिस्तान को देखें तो वो हमेशा भारत को हर मामले में टक्कर देने की कोशिश करता रहता है। लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं हो पाता है। पाकिस्तान भारत से किसी भी मामले में टक्कर करने के लायक नहीं है। दरअसल मामला बासमती चावल की किस्मों से जुड़ा हुआ है, जिसे भारत की धरोहर माना जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने काफी मेहनत से बासमती चावल की पूसा 1121 और पूसा 1509 किस्में विकसित की हैं। अब पाकिस्तान इन्हें अपना बताकर दुनिया के बाजारों में बेचने की कोशिश कर रहा है। 

क्या है पूरा मामला?

पाकिस्तानी उत्पादक भारत के बासमती चावल की नकली किस्मों को 1121 कायनात और 1509 किसान के नाम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच रहे हैं, जिससे भारत की विश्व बाजार हिस्सेदारी को खतरा पैदा हो रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया पाकिस्तानी चावल उत्पादकों के दुष्प्रचार से भरा पड़ा है। जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में विकसित मशहूर किस्मों के नामों का इस्तेमाल किया गया है। इस हरकत की वजह से भारतीय चावल उत्पादकों और वैज्ञानिक चिंतित हो गए हैं। पाकिस्तान काफी लंबे समय से इन नकली किस्मों का उत्पादन और बिक्री कर रहा है। जिस कारण भारत सरकार ने अपने पाकिस्तानी समकक्षों के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। 

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बासमती निर्यात विकास फाउंडेशन के मुख्य वैज्ञानिक ने कही ये बात

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के तहत बासमती निर्यात विकास फाउंडेशन के मुख्य वैज्ञानिक रितेश शर्मा ने कहा कि ‘पाकिस्तानी किसानों द्वारा गलत विज्ञापन करना ठीक नहीं है। मैंने कई विज्ञापन देखे हैं, जिनमें पाकिस्तानी किसानों ने दावा किया है कि उन्होंने सीधे IARI से पूसा 1121 और पूसा 1509 खरीदा है। सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे झूठे हैं। पूसा 1121 और पूसा 1509, जिन्हें पाकिस्तान में पूसा 1121 कायनात और पूसा 1509 किसान के नाम से बेचा जाता है, चुराई गई किस्में हैं।’

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क्या है इस चावल का इतिहास?

हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने पूसा 1121 को 2005 में पूसा सुगंध के नाम से पेश किया था और फिर साल 2008 में इसे दोबारा लॉन्च किया। इसे 1966 के बीज अधिनियम के तहत अधिसूचित किया गया था। रितेश ने कहा कि ‘फिलहाल, बासमती की खेती करीब 21.4 लाख हेक्टेयर में होती है। इसमें से करीब 11 लाख हेक्टेयर में पूसा 1121 की खेती होती है, जबकि बाकी पर पूसा 1509 और अन्य किस्में उगाई जाती हैं। बासमती उत्पादक प्रभपाल सिंह ने वैज्ञानिक रितेश की चिंताओं को दोहराते हुए कहा कि ‘पाकिस्तानी किसान भारत से इन किस्मों को चुराकर लाए हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भ्रम पैदा करने के लिए उन्हीं नामों से बेच रहे हैं। यह बेहद निंदनीय है।’

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