इंडिया न्यूज, Samarkand News। SCO Summit Uzbekistan: शंघाई सहयोग संगठन के मंच पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ दिखे तो दोनों के बीच दूरियां भी दिखी। दोनों ने ही न तो एक दूसरे से हाथ मिलाया और न ही चेहरे पर कोई मुस्कान थी। इन दिनों उज्बेकिस्तान के समरकंद में एक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति से दूरी बनाते हुए दिखे।

गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 2020 में हुई झड़प के बाद यह पहला मौका था, जब दोनों नेता एक मंच पर आमने-सामने थे। लेकिन यह नजदीकी भी दिलों की दूरियां शायद नहीं मिटा पाई और दोनों नेता औपचारिक मुलाकात से भी बचते दिखे।

आसपास खड़े होने के बाद भी नहीं मिलाया हाथ

बता दें कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा पर तनाव चला रहा है। यही कारण है कि एससीओ के मंच पर दोनों नेताओं में दूरियां देखने को मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को ही शंघाई समिट में पहुंचना था, लेकिन वह डिनर पर नहीं पहुंचे। वह शुक्रवार को समिट से ठीक पहले ही पहुंचे।

सालाना समिट के मंच पर पीएम मोदी और शी जिनपिंग अगल-बगल ही खड़े दिखे, लेकिन दोनों ने हाथ तक नहीं मिलाए और न ही मुस्कुराए। पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ समेत कई देशों के नेता इस समिट में हिस्सा ले रहे हैं।

पाक पीएम से भी नहीं की मुलाकात

पीएम नरेंद्र मोदी ने इस समिट के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी मुलाकात नहीं की है। भारत की इस रणनीति को पाकिस्तान को एक जवाब माना जा रहा है, जिस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। पाकिस्तान ने हाल ही में भारत से कारोबारी संबंधों को बहाल करने के संकेत दिए थे। लेकिन भारत की ओर से इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया था।

एससीओ के सदस्य देशों का वैश्विक जीडीपी में 30 प्रतिशत योगदान

गौरतलब है कि चीन के अलावा पाकिस्तान से भी भारत का आतंकवाद, सीमा विवाद समेत कई मसलों पर टकराव रहा है। शंघाई सहयोग संगठन को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया कोरोना काल के बाद चुनौती का सामना कर रही है।

ऐसी स्थिति में शंघाई सहयोग संगठन की भूमिका अहम है। उन्होंने कहा कि एससीओ के सदस्य देश वैश्विक जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं, और विश्व की 40 प्रतिशत जनसंख्या भी एससीओ देशों में निवास करती है।

भारत एससीओ सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थन करता है। महामारी और यूक्रेन के संकट से ग्लोबल सप्लाई चेन्स में कई बाधाएं उत्पन्न हुईं, जिसके कारण पूरा विश्व अभूतपूर्व ऊर्जा एवं खाद्य संकट का सामना कर रहा है। एससीओ को हमारे क्षेत्र में विश्वस्त, भरोसेमंद और विविध सप्लाई चेन्स विकसित करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए।

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