India News (इंडिया न्यूज), PM Modi Ukraine Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय विदेश दौरे के पहले दिन बुधवार को पोलैंड पहुंचे। पोलैंड में एक दिन बिताने के बाद प्रधानमंत्री सीधे युद्धग्रस्त यूक्रेन पहुंचेंगे। एक तरफ प्रधानमंत्री यूक्रेन जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज अमेरिका दौरे पर रवाना हो गए हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका का बयान भी सामने आया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन दौरे को अहम बताया है। करीब छह हफ्ते पहले प्रधानमंत्री रूस गए थे, जहां उन्होंने राजधानी मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी।
प्रधानमंत्री मोदी पहुंचेंगे यूक्रेन
भारत के किसी भी प्रधानमंत्री ने अब तक यूक्रेन का दौरा नहीं किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ कर दिया है कि भारत किसी के प्रभाव और दबाव में काम नहीं करता है। प्रधानमंत्री के रूस दौरे के दौरान भारत में अमेरिकी राजदूत ने सख्त तेवर दिखाए थे। अब अमेरिका के प्रबंधन और संसाधन उप विदेश मंत्री रिचर्ड आर वर्मा ने कहा कि अमेरिका रूस के साथ भारत के “दीर्घकालिक संबंधों” को समझता है।
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कीव में 7 घंटे रुकेंगे पीएम मोदी
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी करीब सात घंटे कीव में रहेंगे। प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ आमने-सामने और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करने का कार्यक्रम है। वार्ता यूक्रेन संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने पर केंद्रित होगी। वर्मा ने दिल्ली में सेंटर फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक प्रोग्रेस में एक संवाद सत्र में कहा, “मैं इस यात्रा से बहुत खुश हूं। मुझे लगता है कि पीएम मोदी की पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है।”
अमेरिका ने भारत की सराहना की
बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी की पिछली टिप्पणियों की सराहना करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है और यह शांति का समय है।’ वर्मा ने कहा, “हम समझते हैं कि भारत का रूस के साथ दीर्घकालिक संबंध है और भारत को खुद तय करना है कि वह इस पैमाने पर कहां खड़ा होना चाहता है।” भारत में अमेरिकी राजदूत रहे वर्मा ने कहा, “स्वतंत्रता, आजादी और कानून के शासन की रक्षा के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण समय है।” अमेरिका और उसके कई सहयोगी मोदी की 8-9 जुलाई की मॉस्को यात्रा के समय से परेशान थे, क्योंकि यह वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाता था।