इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : रूस-यूक्रेन के बीच चल रही जंग करीब 11 महीने बाद भी जारी है। आपको बता दें, इस युद्ध को रोकने की तमाम कोशिशें अब तक नाकाम ही साबित हुई हैं। सोमवार को इस मामले में नया ट्विस्ट आया। यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव लाया गया। इसमें कहा गया कि यूक्रेन को जंग से जो नुकसान हुआ है, उसकी भारपाई रूस करे।
इस प्रस्ताव पर वोटिंग भी हुई। आपको बता दें, भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव में रूसी हमले की वजह से यूक्रेन को हुए नुकसान की भारपाई के लिए मुआवजा देने की मांग की गई। जिसमें कहा गया कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ा है।
आपको बता दें, अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी देशों के समर्थन से इस प्रस्ताव को UNGA में पेश किया गया था। इसमें यूक्रेन के पक्ष में 94 देशों ने वोट किया। इसके बाद प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। बेलारूस, चीन, क्यूबा, उत्तर कोरिया, ईरान, रूस और सीरिया को मिलाकर 14 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। वहीँ भारत के साथ भूटान, ब्राजील, मिस्र, इंडोनेशिया, इज़राइल, नेपाल, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका समेत 73 देशों ने रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
UN में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा ‘हमें यह विचार करना होगा कि क्या UN में हुई वोटिंग से सब ठीक हो जाएगा? साथ ही महासभा में पारित हुए ऐसे प्रस्तावों की कानूनी रूप से क्या होगा यह भी स्पष्ट नहीं है। रुचिरा ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से PM नरेंद्र मोदी की कही बात “यह युद्ध का समय नहीं है” को दोहराया। भारत बातचीत और कूटनीति के जरिए जंग रोकना चाहता है।’ कंबोज ने आगे कहा ‘बिना अंतरराष्ट्रीय कानून को ध्यान में रखे ऐसे प्रस्ताव नहीं लाना चाहिए, जिससे संयुक्त राष्ट्र के भविष्य के एजेंडे पर असर हो। ऐसे कदमों से बचना चाहिए जो बातचीत को खतरे में डालकर इस संघर्ष को बढ़ाएं ।’
UN में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने यह भी कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर चिंतित है। इस युद्ध में कई लोगों की जान गई है और लाखों महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग बेघर हो गए। जिसकी वजह से उन्हें पड़ोसी देशों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। कम्बोज ने दुनिया में आई आर्थिक गिरावट के लिए भी युद्ध को जिम्मेदार बताया।
UNGA में लगभग 50 देशों ने माना कि यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए। साथ ही नुकसान की भारपाई के लिए रूस को मुआवजा देना चाहिए।
आपको बता दें, यह पहली बार नहीं है जब UNGA में इस तरह का प्रस्ताव पेश कर पास किया गया है। इससे पहले भी पश्चिमी देश कई प्रस्ताव लाए, लेकिन उसका कोई खास असर नहीं हुआ। फरवरी में शुरू हुई जंग के चलते दोनों देशों के हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं। जंग की वजह से ग्लोबल फूड सिक्योरिटी और सप्लाई चेन पर असर पड़ा। क्रूड ऑयल काफी महंगा हो गया।
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