India News (इंडिया न्यूज), Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वाशिंगटन नेशनल कैथेड्रल में आयोजित एक सेवा की आलोचना की है, जिसके बाद उन्हें धर्मोपदेश के दौरान बाहर बुलाया गया। राइट रेव. मैरिएन एडगर बुडे ने एलजीबीटी और अप्रवासी समुदायों में डर की भावनाओं का हवाला देते हुए ट्रम्प से दया मांगी। हालांकि, सोमवार (20 जनवरी, 2025) को अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रम्प ने कहा कि वह इसे “आधिकारिक नीति” बनाएंगे कि “केवल दो लिंग हैं – पुरुष और महिला।”
इसके अलावा, ट्रंप ने उन्होंने देश में अवैध आव्रजन को समाप्त करने की भी कसम खाई और कहा कि लाखों “आपराधिक विदेशियों” को निर्वासित किया जाएगा। बाद में प्रेस से बात करते हुए ट्रम्प ने कहा कि उन्हें “यह एक अच्छी सेवा नहीं लगी।” इस कार्यक्रम से जाने से पहले उन्होंने कहा कि, “वे और भी बेहतर कर सकते थे।”
शपथ लेते ही ट्रंप ने उठाया ये कदम
सोमवार को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते ही एक के बाद एक कई ताबरतोड़ फैसले लिए, जिससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। आपको बता दें कि, ट्रंप ने अमेरिका में तीसरे लिंग की मान्यता को खत्म करने का फैसला किया है। उन्होंने घोषणा की कि अब अमेरिका में सिर्फ दो लिंग ‘पुरुष और महिला’ ही मान्य होंगे, जिससे तीसरे लिंग को दी जाने वाली सुविधाएं खत्म हो जाएंगी। इसके अलावा, ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म कर दिया है। उन्होंने उन माता-पिता के बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता से वंचित करने का आदेश दिया है, जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं या अस्थायी वीजा पर वहां रह रहे हैं। ट्रंप ने इस आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन का समय दिया है।
इस कानून को देता है चुनौती
ट्रंप का यह आदेश अमेरिकी बच्चों को दिए जाने वाले जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को चुनौती देता है। अमेरिकी संविधान का 14वां संशोधन बच्चों को जन्मसिद्ध नागरिकता की गारंटी देता है। यह कानून अमेरिका में 150 साल से लागू है। दुनिया में बच्चों को दो तरह से नागरिकता मिलती है। पहला- राइट ऑफ सॉइल, यानी बच्चा अपने आप उस जगह का नागरिक हो जाता है जहां वह पैदा होता है। दूसरा राइट ऑफ ब्लड, यानी बच्चा उस जगह का नागरिक माना जाएगा जहां उसके माता-पिता नागरिक हैं।