India News (इंडिया न्यूज), Russia Ukraine War: यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष के दौरान रूस में हरियाणा के 22 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, मृतक राज्य के कैथल जिले के मटौर गांव का रवि मौन पांच महीने से लापता था। मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास ने रवि मौन के परिवार को भेजे संदेश में उसकी मौत की पुष्टि की है। हालांकि, इसमें यह नहीं बताया गया कि उसकी मौत किन परिस्थितियों में हुई। परिवार ने आरोप लगाया है कि उसे यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूर किया गया था।
दूतावास ने शव को परिवार को सौंपने के लिए पहचान के तौर पर उसकी मां की डीएनए रिपोर्ट मांगी है। लेकिन चूंकि रवि की मां की पहले ही मौत हो चुकी है और पिता बीमार हैं, इसलिए उसका भाई अजय डीएनए टेस्ट के लिए आगे आया है, रिपोर्ट में कहा गया है। 27 जुलाई को अजय ने मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास को एक ई-मेल लिखा जिसमें उसने बताया कि रवि 23 जनवरी 2024 को अपने गांव के छह अन्य युवकों के साथ रोजगार की तलाश में विदेश गया था। परिवार ने हरियाणा में अपनी जमीन बेचकर रवि को रूस भेजने के लिए 11.5 लाख रुपये खर्च किए।
- ड्राइवर की नौकरी दिलाने का भरोसा
- वर्दी में उसकी तस्वीरें देखीं
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे यूक्रेन
ड्राइवर की नौकरी दिलाने का भरोसा
अजय ने कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा, “एजेंट ने उसे रूस में ड्राइवर की नौकरी दिलाने का भरोसा दिया था। लेकिन उसे रूस-यूक्रेन युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया। आखिरी बार हमने रवि से 12 मार्च को बात की थी।” उन्होंने कहा, “इसके बाद वह लापता हो गया।” परिवार ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय विदेश मंत्रालय से संपर्क किया था, जिसने रूसी अधिकारियों से संपर्क किया।
वर्दी में उसकी तस्वीरें देखीं
परिवार ने आरोप लगाया कि रवि को रूसी सेना में भर्ती किया गया था और उन्होंने वर्दी में उसकी तस्वीरें देखीं। अजय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “रूसी सेना ने रवि को यूक्रेन की सेना से लड़ने के लिए अग्रिम मोर्चे पर जाने या 10 साल की जेल का सामना करने के लिए मजबूर किया।” परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि रवि का शव जल्द से जल्द भारत लाया जाए।
America: अमेरिका से 2.5 लाख युवा हो सकते हैं बेघर, भारतीयों की इसमे बड़ी संख्या
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे यूक्रेन
यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बैठक के दौरान रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों का मुद्दा उठाए जाने तथा उनकी शीघ्र रिहाई की मांग किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है। इसके बाद रूस ने कथित तौर पर रूसी सेना में कार्यरत सभी भारतीयों को बर्खास्त करने तथा उनकी वापसी की सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया था। जून में विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन के साथ युद्ध में रूसी सेना में भर्ती हुए दो भारतीयों की मौत की पुष्टि की थी। मार्च में सूरत और हैदराबाद के दो और भारतीय नागरिक भी युद्ध के दौरान मारे गए थे।
विदेश में पढ़ाई करना क्यों बन रहा ‘जानलेवा’, 5 सालों में भारतीय छात्रों की मौत का आंकड़ा डरावना