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नाटो की सदस्यता के लिए यूक्रेन का त्वरित आवेदन, रूस को करना पड़ सकता है इन देशों का सामना…

इंडिया न्यूज, Keev News। Russia-Ukraine War: लंबी लड़ाई के बाद रूस ने आज यूक्रेन के कई इलाकों में अपना कब्जा कर लिया है। जिसके लिए रूस ने प्रमुख भी नियुक्त कर दिए हैं। वहीं रूस की इस कब्जा कार्रवाई के बाद यूके्रन भी हरकत में आ गया है और यूक्रेन ने आधिकारिक तौर पर नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) सदस्यता के लिए आवेदन कर दिया है।

बता दें कि यह जानकारी शुक्रवार को यूक्रेनी मीडिया से प्राप्त हुई है। यूक्रेन ने ये कदम ऐसे समय में उठाया है जब पुतिन ने यूक्रेन के बड़े क्षेत्र को रूस में मिलाने की संधियों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार कर यूक्रेन के 4 हिस्सों को रूस में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को संधियों पर हस्ताक्षर किए। पुतिन के इस कदम के तुरंत बाद यूक्रेन ने घोषणा की कि उसने आधिकारिक तौर पर नाटो की सदस्यता के लिए अप्लाई किया है।

यूक्रेन ने त्वरित आवेदन किया प्रस्तुत

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि उनका देश नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होने के लिए “त्वरित” आवेदन प्रस्तुत कर रहा है। जेलेंस्की ने कहा, “हम नाटो में तुरंत शामिल होने के लिए यूक्रेन के आवेदन पर हस्ताक्षर करके अपना निर्णायक कदम उठा रहे हैं।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि “त्वरित” आवेदन का क्या मतलब है, क्योंकि नाटो में शामिल होने के लिए इसके सभी सदस्य देशों के सर्वसम्मत समर्थन की आवश्यकता होती है।

हम एक दूसरे पर भरोसा करते हैं : जेलेंस्की

जेलेंस्की ने कहा, “असल में, हम पहले ही नाटो गठबंधन के मानकों को पूरा कर रहे हैं और खुद की संगतता साबित कर चुके हैं। वे यूके्रन के लिए जरूरी हैं। हम एक दूसरे पर भरोसा करते हैं, हम एक दूसरे की मदद करते हैं, और हम एक दूसरे की रक्षा करते हैं।

यही गठबंधन कहलाता है।” बता दें कि रूस द्वारा 7 महीने पहले किए गए हमले के बाद से यूक्रेन ने सोवियत युग की हथियार प्रणालियों को त्याग कर नाटो-मानक हथियारों का इस्तेमाल किया है।

क्या है नाटो?

आपको बता दें कि नाटो 30 पश्चिमी देशों का एक सैन्य गठबंधन है। इसमें शामिल प्रमुख देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस भी हैं। नाटो का मुख्य लक्ष्य सुरक्षा नीति पर काम करना और अगर किसी नाटो देश पर कोई अन्य देश हमला करता है तो नाटो में शामिल सभी देश उस देश के पक्ष में खड़े हो सकते है।

ऐसे में अगर यूक्रेन को नाटो सदस्यता मिल जाती है तो रूस का मुकाबला केवल यूक्रेन से ही नहीं बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों के साथ होगा जो पहले से ही यूक्रेन को हथियार मुहैया करा रहे हैं।

इन देशों से करना पड़ सकता है सामना

1949 में, गठबंधन के 12 संस्थापक सदस्य थे, जिनमें बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।

अब अन्य सदस्य देश हैं: ग्रीस और तुर्किये (1952), जर्मनी (1955), स्पेन (1982), चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड (1999), बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया (2004), अल्बानिया और क्रोएशिया (2009), मोंटेनेग्रो (2017) और उत्तर मैसेडोनिया (2020)।

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Naresh Kumar

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