India News (इंडिया न्यूज), Russia Britain Tension : जब दुनिया की दो ताकतवर देशों का सेनाएं आमने-सामने आ जाएं तो समझ जाइए की तबाही मचना कंफर्म है। कुछ दिन पहले ऐसा होते-होते रह गया जब रूस और ब्रिटेन की नौसेना आमने-सामने आ गए। इस बात की जानकारी ब्रिटिश रक्षा मंत्री जॉन हीली ने दी है। जॉन हीली ने बताया कि सोमवार को समुद्र में रूस का एक जासूसी जहाज ब्रिटेन के जलक्षेत्र में आ गया, जिसके बाद ब्रिटिश नेवी की एक परमाणु पनडुब्बी ने उसका रास्ता रोका और उसे वहां से वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।

हीली ने इस घटना के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, हम आपको देख रहे हैं। हमें पता है कि आप क्या कर रहे हैं? रूस के इस जासूसी जहाज को यांतर के नाम से जाना जाता है। पिछले कुछ महीनों में यह दूसरी बार है जब इस जहाज को ब्रिटिश जलक्षेत्र में देखा गया।

ब्रिटिश सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक पानी में जिस जगह रूसी जहाज था, वहां पर उसके ठीक नीचे महत्वपूर्ण अंडरसी केबल थीं। हाल के महीनों में समुद्र की गहराई में मौजूद कई केबल कटने की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं के बाद इस बात की चिंता बढ़ गई है कि रूस यूरोप में अव्यवस्था फैलाने के लिए ऐसा कर सकता है।

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खुफिया जानकारी जुटाने आया था रूसी जहाज!

जॉन हीली ने संसद में इस जासूसी जहाज के फिर ब्रिटिश जल में आने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि रूस का जासूसी जहाज खुफिया जानकारी जुटाने के लिए आया था। उन्होंने बताया कि रूसी जहाज के क्रू मेंबर को इस बात का अंदाजा नहीं था कि ब्रिटेन की एक एस्ट्यूट क्लास हंटर किलर पनडुब्बी उनकी हर हरकत पर नजर रख रही है। यह पनडुब्बी स्पीयरफिश टॉरपीडो और टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों से लैस थी। नेवी ने पनडुब्बी का नाम नहीं बताया। जानकारी के मुताबिक पनडुब्बी के कप्तान ने रूसी जहाज से संपर्क किया और बताया कि उन्हें जासूसी करते पकड़ लिया गया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, नवंबर में रॉयल नेवी की चेतावनी के बाद, यांतर ब्रिटेन के जलक्षेत्र को छोड़कर भूमध्यसागर की ओर बढ़ गया था।

रूसी जहाज है खतरा?

रिपोर्ट के मुताबिक रूस इस जहाज को रिसर्च के बताता है। लेकिन पश्चिमी अधिकारियों का मानना है कि यह वास्तव में एक जासूसी जहाज है। उनके मुताबिक यह जहाज पानी के नीचे समुद्री केबल का नक्शा तैयार कर रहा है। ताकि युद्ध की स्थिति में इसे काटा जा सके। इनमें इंटरनेट के अलावा ब्रिटेन और अमेरिका के बीच फैली केबल भी है जो खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान के लिए इस्तेमाल होती है।

328 फुट लंबा जहाज ‘मून पूल’ तकनीक से लैस है। इससे छोटी पनडुब्बियों और पानी के नीचे ड्रोन लॉन्च किए जा सकते हैं। ब्रिटेन की नौसेना ने गोताखोरों और बारूदी सुरंगों को साफ करने वाले रोबोटों को तैनात किया है, ताकि समुद्र तल पर अगर रूस का कोई उपकरण हो तो इसका पता लगाया जा सके।

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