India News (इंडिया न्यूज), Russian war crimes: रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान पकड़े गए यूक्रेनी सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में रिहा हुए यूक्रेनी सैनिक इवान पेट्रोव्स्की ने 1,037 दिनों की कैद के दौरान अपने साथ हुए अत्याचारों का खुलासा किया है। उनकी चौंकाने वाली तस्वीरों ने रूस के युद्ध बंदी शिविरों की भयावह सच्चाई को उजागर कर दिया है।

30 साव इवान पेट्रोव्स्की को मई 2022 में मारियुपोल की रक्षा करते हुए रूसी सेना ने पकड़ लिया था। करीब तीन साल तक वह रूस के कुख्यात युद्ध बंदी शिविर में रहे, जहां उन्हें भीषण यातनाएं दी गईं। हाल ही में उन्हें कैदियों की अदला-बदली के तहत रिहा किया गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पहले और बाद की तस्वीरें शेयर कीं और लिखा, “मैं घर आ गया हूं। यह 1,037 दिनों की कैद और 40 किलो वजन कम होने का अंतर है।” उनकी पत्नी क्रिस्टीना पेट्रोव्स्का और दो बेटियां उनके लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं।

तीन चम्मच दलिया खाकर जिंदा कैदी

यूक्रेन सरकार ने रूस पर कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों में रखने का आरोप लगाया है, जहां उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और चिकित्सा सेवाओं से दूर रखा जा रहा है। कई जेलों में कैदियों को दिन भर में केवल तीन चम्मच दलिया, आधा कप चाय और दो पतली ब्रेड दी जाती है। कैदियों को पानी की भी कमी का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन के मानवाधिकार आयुक्त दिमित्रो लुबिनेट्स ने कहा कि गंभीर रूप से घायल और बीमार कैदियों को तुरंत वापस भेजे जाने की जरूरत है, लेकिन रूस उनका इलाज करने से इनकार कर रहा है, जिसके कारण कई सैनिकों की मौत हो गई है।

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रूस बिजली करंट के झटके भी दे रहा

रूस में बंदी बनाए गए यूक्रेनी सैनिकों ने खुलासा किया है कि दक्षिण-पश्चिमी रूस के टैगान्रोग शहर में स्थित प्री-ट्रायल डिटेंशन सेंटर नंबर 2 में उन्हें भयानक यातनाएं दी जाती थीं। पूर्व कैदियों ने कहा कि उन्हें नियमित रूप से पीटा जाता था, बिजली के झटके दिए जाते थे और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कैंप में कैदियों को अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ता है।

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