India News (इंडिया न्यूज), Scary Baby Born: बच्चे के जन्म के बाद हर परिवार खुशियों से भर जाता है। लेकिन हाल ही में बेटे को जन्म देने वाली एक अमेरिकी महिला के लिए यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिकी। बच्चे को देखकर माँ के साथ डॉक्टर भी डर गए। हाल ही में एक हॉस्पिटल में कुछ ऐसा हुआ जिसको देख कर डॉक्टर्स के भी रोंगटे खड़े हो गए। दरसअल, लॉस एंजिल्स में एक महिला ने बेटे को जन्म दिया, लेकिन बच्चा जिस स्थिति में जन्मा उसको देखकर न केवल डॉक्टर्स बल्कि उसकी मां भी बुरी तरह डर गई। लॉस एंजिल्स में एंडालुसिया मेसा नाम की महिला अपने पहले बच्चे के जन्म होने से बहुत खुशी में थी, लेकिन बच्चे को देखकर वह घबरा गईं। डॉक्टर्स ने जब बच्चे का जन्म कराया उसके बाद वह बच्चे से इतना डर गए की मां के पास भी उन्होंने उसे नहीं रखा और दूर कर दिया।
दरअसल बच्चे का रंग बैंगनी था और वह ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था। डॉक्टरों ने बच्चे को तुरंत ही मां से दूर किया और उसे सर्जरी के लिए अस्पताल के एनआईसीयू में भेजा गया। बच्चे की सर्जरी में 5 लाख डॉलर मतलब करीब 42 करोड़ रूपये का खर्चा हुआ। इस सर्जरी के लिए बच्चे की मां ने तुरंत ही हामी भर दी थी। इस बारे में बात करते हुए बच्चे की मां एंडालुसिया ने कहा कि, “मेरी प्रेग्नेंसी बिल्कुल नॉर्मल ही थी। जब मेरा बच्चा पेट में कोई हरकत करता था तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी होती थी। लेकिन डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद भी मुझे दर्द का एहसास तक नहीं हुआ जिस वजह से हमें डॉक्टर के पास जाना पड़ा। जब डिलीवरी का समय आया तो मैं बहुत ज्यादा खुश थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि अब मेरा बच्चा मेरी गोद में खेलेगा। लेकिन इसके बाद बहुत ही भयानक चीजें हुईं थीं। बच्चे का का रंग देखकर मैं तो बुरी तरह डर गई। इससे डॉक्टर और नर्स भी चौंक गए थे।”
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ऐसा बच्चा पैदा होने के पीछे क्या कारण रहा? इस सवाल के जवाब में एंडालुसिया ने कहा कि, “डॉक्टरों ने इस बारे में हमें यह बताया कि बच्चे के फेफड़ों के अंदर तरल पदार्थ भर जाने की वजह से यह संक्रमण फैला था। बच्चे को सांस लेने में बहुत समस्या आ रही थी। डॉक्टरों ने उसको ‘कोड ब्लू’ नाम दिया है। बच्चे को तुरंत ही इलाज के लिए एनआईसीयू में भेजा गया। धीरे-धीरे उसकी हालत ख़राब हो रही थी । हम यह देख रहे थे की वह अपनी आंखें झपका रहा था, उसके पैर बहुत कांप रहे थे। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो स्ट्रोक आया है। मैंने डॉक्टर्स से इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम (ईईजी) टेस्ट के लिए भी बोला है, इस टेस्ट का काम मस्तिष्क की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को मापना है। लेकिन डॉक्टरों ने इस प्रोसेस के लिए इंकार कर दिया। लेकिन, 7 दिन बाद उसकी ईईजी करने की अनुमति मिल गई। इसमें सामने आया कि उसे लगभग हर 30 मिनट में दौरे आ रहे थे। इसका असर उसके दिमाग पर हो रहा था। मुझे लग रहा है कि, शायद उसे गर्भ से ही दौरे पड़ रहे थे, इसी वजह से उसकी गतिविधियां भी असामान्य लग रही थीं।”
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