India News (इंडिया न्यूज),Syria:सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के साथ-साथ बहुत कुछ बदल रहा है। कभी ईरान के प्रभुत्व का केंद्र रहा यह देश अब हर दिन सुन्नी ताकतों का स्वागत कर रहा है। रूस और ईरान के जाने के बाद सुन्नी अरब देशों के मंत्री अपने हितों को साधने के लिए सीरिया आ रहे हैं। इजरायली मीडिया के मुताबिक, राजनीतिक और सुरक्षा हलकों में अमेरिका के सीरिया से बाहर निकलने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। अफगानिस्तान के बाद अब अमेरिका भी सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुला सकता है। आपको बता दें कि सीरिया में करीब 2 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं, ये सैनिक अल्पसंख्यक कुर्दों के कुर्द विद्रोहियों को ट्रेनिंग भी देते हैं।
इजरायल को लग सकता है झटका
सीरिया में अमेरिका का अल-तनफ बेस इजरायल की सुरक्षा के लिए काफी अहम है। अगर अमेरिका सीरिया से वापस लौटता है तो यह इजरायल के लिए अच्छी खबर नहीं होगी। इजरायली मीडिया ने जानकारी दी है कि डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने इजरायली सुरक्षा और राजनीतिक नेताओं से कहा है कि अमेरिका सीरिया से अपनी सेना वापस बुलाने पर विचार कर रहा है। इजरायल में चिंता बढ़ी इस मुद्दे पर इजरायल में कई हफ्तों से बहस चल रही है। कान न्यूज़ के एंकर मस्वादेह के अनुसार सीरिया में अमेरिकी सैनिकों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन उनकी मौजूदगी प्रभावशाली मानी जाती है। उन्होंने कहा, “ये सेनाएँ सीरिया के इसराइल के प्रति व्यवहार पर गहरा असर डालती हैं।”
बेहद चिंतित हैं इजरायली नेता
इसके अलावा मस्वादेह ने कहा कि सीरिया में कुर्द अल्पसंख्यकों को सहारा देने में भी अमेरिकी सेना अहम भूमिका निभाती है। तुर्की के सीरिया में घुसपैठ की संभावना को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, जो कुर्द समुदायों के लिए ख़तरा बन सकती हैं। मस्वादेह के अनुसार, इसराइली नेता इस कदम और ट्रंप के अलगाववादी दृष्टिकोण से बेहद चिंतित हैं।
सीरिया में इसराइल
इसराइली सेना इसराइल से सटी सीरियाई सीमा में कई किलोमीटर अंदर तक आ गई है और उसने सीरिया के एक बड़े इलाके पर कब्ज़ा कर लिया है। दो हफ़्ते पहले सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा ने सीरिया में इसराइली कब्ज़ा हटाने और पहले जैसी स्थिति बहाल करने का आह्वान किया था।
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