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Sri Lanka: श्रीलंकाई सत्तारूढ़ पार्टी ने की राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के कदम की अवहेलना, स्थानीय परिषद चुनाव जल्द कराने का किया आह्वान

Shubham Pathak • LAST UPDATED : August 22, 2023, 2:06 am IST

India News,(इंडिया न्यूज),Sri Lanka: श्रीलंका(Sri Lanka) ने पिछले कुछ दिनों में बहुत सी कठनाईयां झेली है। जिसके बाद श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कदम की अवहेलना करते हुए सोमवार को स्थानीय परिषद चुनाव जल्द कराने का आह्वान किया। जिसकी जानकारी देते हुए एसएलपीपी के महासचिव सागर करियावासम ने संवाददाताओं से कहा कि, हम चुनाव आयोग को पत्र लिखकर वित्त मंत्री के साथ चर्चा करने और जल्दी चुनाव कराने की व्यवस्था करने का अनुरोध करेंगे। साथ ही उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अपनी पार्टी के दृढ़ संकल्प का संकेत दिया। .

राष्ट्रपति विक्रमसिंघे का रुख (Sri Lanka)

जानकारी के लिए बता दें कि, श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने चुनाव को लेकर अपना रुख कायम करते हुए बताया हैं कि, देश के आर्थिक संकट से उबरने के बाद ही चुनाव कराए जा सकते हैं। स्थानीय सरकार के चुनाव हर चार साल में होते हैं, यह आखिरी बार 2018 में आयोजित किए गए थे। राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को नामांकित किया था, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि राजकोष से धन जारी नहीं होने के कारण वह चुनाव कराने में असमर्थ है। इसके साथ हीं करियावासम ने एसएलपीपी उम्मीदवारों के सामने आने वाली चुनौतियों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि, वे चुनाव कानूनों से बंधे हैं क्योंकि चुनाव अवधि के दौरान सार्वजनिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा उन्होंने पार्टी की चिंताओं को रेखांकित करते हुए जोर देकर कहा, या तो चुनाव होना चाहिए या हमारे उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार पर कानूनी प्रतिबंधों से मुक्त किया जाना चाहिए।

ये भी जानिए (Sri Lanka)

मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, यूएनपी के सदस्य विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद तब ग्रहण किया था, जब एसएलपीपी ने उन्हें गोटबाया राजपक्षे का शेष कार्यकाल नवंबर 2024 तक पूरा करने के लिए वोट दिया था। बता दें कि, गोटबाया राजपक्षे को पिछले साल जुलाई में देश में आर्थिक संकट की वजह से उनके खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, पार्टी अब आंतरिक विभाजन से जूझ रही है। मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जन बालावेगया (एसजेबी) और एसएलपीपी से अलग हुए अन्य समूहों का आरोप है कि स्थानीय चुनाव कराने में विक्रमसिंघे की अनिच्छा उनकी पार्टी की हार की आशंका की वजह है।

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