India News (इंडिया न्यूज़), Strike in Iceland: आइसलैंड से एक बड़ी खबर सामने आई है जिसमें वहां की प्रधानमंत्री देश की महिलाओं के साथ असमान वेतन और लिंग आधारित हिंसा की समाप्ति को लेकर बिते मंगलवार को एक दिवसीय हड़ताल पर हैं। यह हड़ताल 24 अक्टूबर 1975 को हुई इस प्रकार की घटना के बाद महिलाओं के द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम कहा जा रहा है।

दुनिया का सबसे अधिक लिंग समान देश

बता दें कि 1975 में 90 फीसदी महिलाओं ने कार्यस्थल में भेदभाव पर गुस्सा व्यक्त करने को लेकर और काम करने, साफ-सफाई, बच्चों की देखभाल करने से इनकार दिया था। वहीं 3.40 लाख की आबादी वाले आइसलैंड को 14 सालों से दुनिया का सबसे अधिक लिंग समान देश माना जाता है।

हड़ताल को लेकर प्रधानमंत्री ने क्या कहा?

आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडाटिर ने इसको लेकर कहा कि, वह हड़ताल में महिला दिवस की छुट्टी के रूप में घर पर ही रहेंगी और इसके साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि उनकी कैबिनेट की अन्य महिलाएं भी ऐसा ही करेंगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम अभी भी पूर्ण लैंगिक समानता के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सके हैं और हम अभी भी लिंग आधारित वेतन असमानता का सामना कर रहे हैं, जो कि 2023 में अस्वीकार्य है।

कार्यों को नहीं कराने का किया आह्वान

आगे उन्होंने कहा कि हम अभी भी लिंग आधारित हिंसा का सामना कर रहे हैं, जिससे निपटना मेरी हमारी सरकार की प्राथिमकता है। आयोजकों ने महिलाओं से एक दिवसीय हड़ताल में भुगतान के साथ ही अवैतनिक दोनों प्रकार के कार्यों को नहीं कराने का आह्वान किया है। महिला प्रधान कार्यबल वाले विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों ने भी कहा है कि वे हड़ताल से बहुत ही प्रभावित होंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रसारक आरयूवी ने कहा कि उसने एक दिन के लिए टीवी और रेडियो प्रसारण कम कर दिया है।

ये भी पढ़ें – iPhone 15 Series Manufacturing Cost: आईफोन 15 सीरीज को बनाने में आता है इतना खर्चा, कंपनी को मिलता है खूब प्रॉफिट